हाल ही में हुई एयर इंडिया की दर्दनाक विमान दुर्घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। इस हादसे में सैकड़ों यात्रियों की जान खतरे में पड़ गई, हालांकि एयरलाइंस और पायलट की त्वरित प्रतिक्रिया से एक बड़ा संकट टल गया। अब जब हालात काबू में हैं, जांच एजेंसियां विमान के इंजन थ्रस्ट, विंग फ्लैप्स और लैंडिंग गियर की स्थिति पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं, ताकि इस भयावह हादसे के पीछे की असली वजह का पता लगाया जा सके।
एयर इंडिया दुर्घटना: हवाई जहाज़ और उड़ान विवरण
12 जून 2025 को एयर इंडिया की फ्लाइट AI‑171, जो गुजरात के अहमदाबाद इंटरनेशनल एयरपोर्ट से लंदन के गेटविक एयरपोर्ट के लिए रवाना हुई थी, टेकऑफ़ के कुछ ही क्षणों बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गई। यह उड़ान बोइंग 787‑8 ड्रिमलाइनर विमान द्वारा संचालित थी, जिसका पंजीकरण नंबर VT‑ANB था। विमान ने दोपहर 1:38 बजे (IST) रनवे 23 से उड़ान भरी और लगभग 625 फीट की ऊँचाई तक ही पहुंच पाया। इसके बाद अचानक एयर ट्रैफिक कंट्रोल से संपर्क टूट गया। पायलट ने तत्परता दिखाते हुए “MAYDAY” सिग्नल भेजा, जो किसी आपात स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है। यह चेतावनी उड़ान के शुरू होने के महज 30 सेकंड के भीतर ही भेजी गई थी। जांचकर्ताओं के अनुसार, यह संकेत देता है कि विमान को टेकऑफ़ के तुरंत बाद ही किसी गंभीर तकनीकी या यांत्रिक समस्या का सामना करना पड़ा। प्रारंभिक रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि विमान हवा में स्थिर नहीं हो पा रहा था, जो कि थ्रस्ट या फ्लैप्स जैसी उड़ान-सहायक प्रणालियों की विफलता की ओर संकेत करता है।
हादसा कैसे हुआ?
मंगलवार सुबह एयर इंडिया की एक फ्लाइट जो मुंबई से लंदन जा रही थी टेक-ऑफ के कुछ ही मिनट बाद हवा में असामान्य ध्वनि और कंपन के साथ तकनीकी खराबी का शिकार हो गई। पायलट ने तुरंत अलर्ट जारी किया और विमान को सुरक्षित रूप से आपातकालीन लैंडिंग के लिए वापस मोड़ दिया। सौभाग्य से सभी यात्री सुरक्षित रहे।
दुर्घटनास्थल और नुकसान:
मेघानी नगर में विमान आश्पास्मिक क्षेत्र यह दुर्घटना मेडिकल कॉलेज हॉस्टल की इमारत में हुई जिससे विमान का फ्यूज़लाज़ उड़ान का एक बड़ा हिस्सा और आग की लपटें उठीं। विमान पर 242 लोग (230 यात्री और 12 चालक दल) सवार थे जिनमें से केवल एक यात्री बच गया और शेष सभी 241 विमान में ही मारे गए। इसके अलावा ग्राउंड पर कम से कम 38 अस्पताल में एडमिट किया।
विमान वर्ष और वजन:
यह बोइंग 787 मॉडल जो 11 साल पुराना था और GE Aerospace के GEnx-1B67 इंजनों से लैस था 2014 में लॉन्च किया गया था और यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह बोइंग 787 मॉडल का पहला फ़ाटल क्रैश है। भारतीय DGCA और टीका समूह से संबंधित एयर इंडिया ने पूरे एयलाइनर की सुरक्षा को तेजी से देखा है।
जांच एजेंसियों ने तीन प्रमुख तकनीकी मुद्दों पर ध्यान दिया:
इंजन थ्रेट:
जांच अधिकारी यह पता लगाने में जुटे हैं कि क्या इंजन की पावर अचानक कम हो गई थी या उसमें कोई यांत्रिक समस्या उत्पन्न हुई थी। टेक-ऑफ के वक्त इंजन की ताकत बेहद महत्वपूर्ण होती है। अगर इंजन सही से पावर नहीं दे रहा हो तो विमान हवा में स्थिर नहीं रह सकता।
व्हाइट फ्लैप्स की जगह:
फ्लैप्स विमान के पंखों पर लगे विशिष्ट भाग हैं जो विमान को टेक-ऑफ और लैंडिंग के दौरान संतुलित रखते हैं। फ्लैप्स की जांच यह निर्धारित करती है कि क्या फ्लैप्स सही से खुले या बंद हुए हैं अगर ऐसा नहीं है तो फ्लैप्स का संतुलन खराब हो सकता है।
लैंडिंग गियर की समस्या:
लैंडिंग गियर यानी विमान के पहिए टेक-ऑफ और लैंडिंग में बहुत महत्वपूर्ण है। कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि टेक-ऑफ के दौरान लैंडिंग गियर सही तरह से ऊपर नहीं गया जिससे घर्षण या वाइब्रेशन हो सकता था।
DGCA और एयरलाइंस की संयुक्त जांच:
हादसे की जांच नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) की एक विशेष टीम कर रही है जिसमें एयर इंडिया की इंजीनियरिंग टीम भी शामिल है। विमान का ब्लैक बॉक्स और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर जांच के लिए भेजा गया है और अधिकारियों का अनुमान है कि जांच पूरी होने में एक से दो सप्ताह का समय लग सकता है।
क्या कोई निगरानी चूक हुई?
हादसे के बाद यह भी सवाल उठ रहा है कि विमान की नियमित मेंटेनेंस में कोई चूक तो नहीं हुई थी। सूत्रों ने बताया कि विमान को पिछले महीने तकनीकी जांच से गुजारा गया था लेकिन अब उस मेंटेनेंस रिपोर्ट को फिर से देखा जा रहा है।
एयर इंडिया दुर्घटना ने बयान जारी किया:
एयर इंडिया ने हादसे के बाद बयान जारी कर कहा हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता यात्रियों की सुरक्षा है। हम DGCA के साथ मिलकर पूरी जांच में सहयोग कर रहे हैं। विमान में सवार सभी यात्री और क्रू मेंबर पूरी तरह सुरक्षित हैं।
क्या ऐसे दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है?
भारत में उड्डयन सेवाएं काफी सुरक्षित मानी जाती हैं लेकिन ऐसी घटनाएं यह याद दिलाती हैं कि नियमित और गहन जांच बहुत जरूरी है क्योंकि विमान तकनीकी रूप से बहुत जटिल हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि आधुनिक विमानों में तीन बैकअप सिस्टम हैं लेकिन अगर एक से अधिक सिस्टम एक साथ फेल हो जाएं तो खतरा बढ़ सकता है। इसलिए पायलटों को बार-बार ट्रेनिंग देना इंजीनियरिंग स्टाफ की दक्षता और उच्च स्तरीय उपकरणों की निगरानी बहुत महत्वपूर्ण है।
निकास:
यात्रियों की सुरक्षा सर्वोपरि है और हर स्तर पर पारदर्शिता जिम्मेदारी और नियमित निगरानी की जरूरत है। इस एयर इंडिया दुर्घटना से सबक लिया जाना चाहिए और भविष्य में ऐसे हालात से बचने के लिए और भी कठोर कदम उठाए जाएं। AI-171 की हृदय विदारक दुर्घटना आधुनिक विमानन में एक बड़ी चेतावनी है। प्रारंभिक परिस्थितियों में थ्रस्ट की कमी फ्लैप या गियर की त्रुटियाँ और शायद इंजीनियरिंग या मानव त्रुटि के कारण ये अनुमान जांच के बाद सत्य हो सकते हैं या नहीं। इस बीच FDR डेटा विश्लेषण महत्वपूर्ण साबित होगा। यह दुर्घटना न केवल तकनीकी निगरानी की जरूरत है बल्कि एयरोनॉटिकल प्रक्रियाओं पायलट प्रशिक्षण और रखरखाव प्रोटोकॉल के पुनर्निर्माण के लिए विश्वव्यापी चेतावनी है। अंतिम रिपोर्ट जारी होने तक।
अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक करें: एयर इंडिया दुर्घटना: जांच में फोकस रहेगा इंजन थ्रस्ट, विंग फ्लैप्स और लैंडिंग गियर पर