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Amarnath Yatra 2024: आज से शुरू हो गयी है अमरनाथ यात्रा, जानें इससे जुड़े नियम और अन्य जानकारी

धार्मिक दृष्टि से अमरनाथ यात्रा (Amarnath Yatra 2024) को अत्यंत पुण्यकारी माना गया है। शिव भक्त इस यात्रा का पूरे वर्ष उत्सुकता से इंतजार करते हैं। वर्ष 2024 में, आज 29 जून से अमरनाथ यात्रा का शुभारंभ हो चुका है। खराब मौसम के बावजूद, श्रद्धालुओं का उत्साह बना हुआ है। आइए जानते हैं अमरनाथ यात्रा से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी।

 Amarnath Yatra 2024:की शुरुआत आज, 29 जून 2024 से हो चुकी है। सनातन धर्म में अमरनाथ यात्रा को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। यह तीर्थ स्थान अत्यंत पवित्र है, जहां बड़ी संख्या में शिव भक्त शामिल होते हैं। खराब मौसम के बावजूद, श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बनता है। आइए जानते हैं अमरनाथ यात्रा से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी।

श्रद्धालु अमरनाथ यात्रा पर क्यों जाते हैं?Amarnath Yatra 2024

 

धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो व्यक्ति अमरनाथ गुफा में स्थित शिवलिंग के दर्शन करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस यात्रा से 23 तीर्थों के समान पुण्य प्राप्त होता है। पुराणों में उल्लेख है कि काशी में लिंग दर्शन और पूजन से दस गुना, प्रयाग से सौ गुना और नैमिषारण्य तीर्थ से हजार गुना अधिक पुण्य बाबा अमरनाथ के दर्शन से मिलता है। मान्यता है कि इस यात्रा से व्यक्ति सभी रोगों और पापों से मुक्त होता है और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। कठिन रास्तों के बावजूद, शिव भक्त महादेव की कृपा प्राप्त करने के लिए अमरनाथ यात्रा में शामिल होते हैं।

अमरनाथ यात्रा के नियम

  1. सद्व्यवहार: यात्रा के दौरान किसी भी शिव भक्त को अनुचित न बोलें और किसी के प्रति गलत विचार न रखें।
  2. धार्मिक आचरण: भगवान शिव के नाम का नियमित जप करें।
  3. नशे से परहेज: शराब और धूम्रपान का सेवन न करें और तामसिक भोजन से दूर रहें।
  4. स्वच्छता का ध्यान: खानपान का विशेष ध्यान रखें और यात्रा के दौरान कचरा न फैलाएं, पर्यावरण को स्वच्छ रखें।
  5. दस्तावेज़: यात्रा के सभी जरूरी दस्तावेज़ अपने पास अवश्य रखें।

शिवलिंग का निर्माण कैसे होता है

समुद्र तल से 3978 मीटर की ऊँचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा में भगवान शिव का शिवलिंग स्थित है। यह पवित्र गुफा 90 फीट लंबी और 150 फीट ऊँची है। मान्यता है कि गुफा की छत से पानी की बूंदें टपकती हैं, जो शिवलिंग का निर्माण करती हैं। चंद्रमा के घटने-बढ़ने के साथ, बर्फ से बने शिवलिंग का आकार भी बदलता रहता है और अमावस्या तक शिवलिंग धीरे-धीरे छोटा होता जाता है।

अमरनाथ यात्रा का समय

अमरनाथ यात्रा हर साल आषाढ़ माह में शुरू होती है और रक्षाबंधन पर समाप्त होती है। इस वर्ष, यात्रा का आरंभ आज, 29 जून, से हो गया है और इसका समापन 19 अगस्त को होगा।

अमरनाथ गुफा का इतिहास

पौराणिक कथा के अनुसार, कश्मीर घाटी में राजा दश, ऋषि कश्यप, और उनके पुत्र का वास था। मान्यता है कि एक बार कश्मीर घाटी पूरी तरह जलमग्न हो गई थी, जिससे यह एक विशाल झील का रूप ले ली। ऋषि कश्यप ने झील का पानी कई नदियों में प्रवाहित कर घाटी को सूखा दिया। इस दौरान, भृगु ऋषि ने हिमालय की यात्रा के दौरान इस घाटी को पार किया। जल स्तर कम होने पर, उन्होंने सबसे पहले अमरनाथ गुफा में स्थित पवित्र बर्फ के शिवलिंग के दर्शन किए। तभी से यह स्थान भगवान शिव की पूजा और यात्रा का पवित्र स्थल बन गया। मान्यता है कि इस गुफा में देवों के देव महादेव ने तपस्या की थी।

अमरनाथ यात्रा के लिए निकले तीर्थयात्री अपने पहले जत्थे के साथ पवित्र गुफा तक पहुँच चुके हैं, और बाबा बर्फानी के दर्शन भी किए हैं। बम बम भोले के जयकारे के साथ, अमरनाथ यात्रा आज पहलगाम और बालटाल से शुरू हुई है। इस यात्रा के लिए तीर्थयात्री शुक्रवार को कश्मीर पहुँचे थे। इस वीडियो को देखें।

अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय, लाभ, सलाह, और कथन केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। bh24 Media इस लेख में प्रस्तुत बातों का समर्थन नहीं करते हैं। यह जानकारी विभिन्न स्रोतों—ज्योतिषियों, पंचांगों, प्रवचनों, मान्यताओं, धर्मग्रंथों, और दंतकथाओं से संग्रहित की गई है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य या दावा न मानें और अपने विवेक का उपयोग करें।Bh24 media अंधविश्वास के खिलाफ हैं।

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