Beyond long term growth to Monthly income options: ज्यादातर लोग मानते हैं कि म्यूचुअल फंड में निवेश करने का मतलब होता है कि हर महीने एक निश्चित रकम अगले 2-3 दशकों तक निवेश करनी होती है। लेकिन ऐसा जरूरी नहीं है कि इससे हर महीने नियमित आय मिले।
अक्सर लोग यह नहीं जानते कि म्यूचुअल फंड में एक ऐसा विकल्प भी है, जो ना सिर्फ आपको मासिक आय प्रदान करता है, बल्कि आपकी एक्चुअल अमाउंट पर होने वाली बढ़त का भी लाभ देता है। म्यूचुअल फंड निवेशकों के पास कई विकल्प होते हैं, जैसे ग्रोथ, आय वितरण-पूंजी निकासी (IDCW) और IDCW पुनर्निवेश। हर विकल्प के अपने फायदे और नुकसान होते हैं।
म्यूचुअल फंड के तीन प्रकार:
1) ग्रोथ ऑप्शन:
ग्रोथ ऑप्शन में निवेश पोर्टफोलियो से होने वाले लाभ को पुनः म्यूचुअल फंड योजना में पुनर्निवेश किया जाता है। इससे फंड का नेट एसेट वैल्यू (NAV) बढ़ता है, जिसे ग्रोथ ऑप्शन का रिटर्न माना जा सकता है।
2) आय वितरण-पूंजी निकासी (IDCW):
IDCW में म्यूचुअल फंड्स अपनी प्राप्त लाभांश को यूनिटधारकों को वितरित कर सकते हैं। निवेशक अपने रिटर्न को प्राप्त आय और फंड के NAV की वृद्धि से माप सकते हैं। लेकिन यह नियमित आय नहीं हो सकती, क्योंकि यह कई कारकों पर निर्भर करती है। अगर निवेशक को नियमित भुगतान चाहिए, तो वह ‘सिस्टेमेटिक विड्रॉल प्लान’ (SWP) का चयन कर सकते हैं, जिससे नियमित अंतराल पर निवेश को रिडीम किया जा सकता है।
3) IDCW पुनर्निवेश:
इसमें म्यूचुअल फंड अपनी आय को योजना में पुनः निवेश करता है। नई यूनिट्स वर्तमान NAV पर खरीदी जाती हैं। निवेशक अपने रिटर्न को NAV की वृद्धि और म्यूचुअल फंड यूनिट्स की औसत लागत के अंतर से माप सकते हैं।
म्यूचुअल फंड्स की बढ़ती लोकप्रियता
म्यूचुअल फंड्स तेजी से निवेश का प्रमुख साधन बनते जा रहे हैं। देश की विकास संभावनाएं, बढ़ती वित्तीय साक्षरता, और डिजिटलाइजेशन का समर्थन इसके प्रमुख कारण हैं। सही फंड का चयन करना महत्वपूर्ण है ताकि आपका निवेश आपके लिए काम करे।
(म्यूचुअल फंड निवेश बाजार जोखिमों के अधीन होते हैं, सभी योजना से संबंधित दस्तावेज ध्यान से पढ़ें।)
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