Death by Alcohol: पंजाब के सिंगरुर में पिछले दिनों शराब पीने से 21 लोगों की मौत की खबर सामने आई थी. इसके अलावा पिछले दिनों परिहार, सिलवानी जैसे जिलों में भी शराब से कई लोगों की मौत की घटनाएं सामने आई हैं. हर साल भारत में कई जगह जहरीली शराब ढाई लाख लोगों की जान ले लेती है. हर शराब पीने वाले व्यक्ति को इसके दुष्परिणाम के बारे में जानकारी होता है फिर भी लोग इसे पीने से परहेज नहीं करते हैं. ऐसे में चलिए जानते हैं कि हर साल दुनियाभर में शराब पीने से कितने लोग अपनी जान को गवां देते हैं.
हर साल शराब इतने लोगों की जान ले लेती है
शराब पीने के चलते हर साल दुनिया भर में 30 लाख से अधिक लोग अपनी जान गवां देते हैं. ये दुनियाभर में हो रही कुल मौतों का 5.3 फीसदी है. शराब की वजह से 200 प्रतिशत हेल्थ प्रॉब्लम्स (Health Problems) जन्म ले सकती हैं. बावजूद इसके दुनिया में प्रति व्यक्ति शराब की खपत कारिबन पुरुषों में 20 लीटर और महिलाओं में 7 लीटर है.
शराब की लत कैसे लगती है?
शराब की लत दुनिया भर में लाखों लोगों की जान ले लेती है, फिर सवाल ये बनता है कि आखिर इतना सब जानते हुए भी लोगों को इसकी लत क्यों लग जाती है? तो बता दें कि ‘साइकोलॉजी टुडे’ की एक अन्य खोज में ये सामने आया है कि किसी भी आदत के बनने के लिए तीन जरूरी चीजें चाहिए होती हैं, पहला संकेत, दूसरा दोहराव और तीसरा रिवॉर्ड. ये लत या आदत किसी भी प्रकार की हो सकती है. जैसे चाय की लत, शॉपिंग की लत, पोर्न की लत या फिर शराब पीने की लत.
View this post on Instagram
शुरुआत में व्यक्ति शौकिया तौर पर शराब को पीना शुरू करता है, उसके थोड़े समय बाद कभी-कभी उनका मन शराब पीने का मन करने लगता है. उस व्यक्ति को लगने लगता है कि कभी-कभी शराब पीने से कोई नुकसान नहीं होगा और उनके दिलो-दिमाग को रिवॉर्ड मिलेगा. यानी शराब पीने से उन्हें अच्छा आनंद-महसूस होगा उनकी हर तरह की परेशानी उस समय खत्म हो जाएगी. इसके बाद ये चक्र लगातार चलता रहता है और उस व्यक्ति को शराब की लत लग जाती है. इसके बाद उसे रोज-रोज शराब पीने की क्रेविंग होती रहती है.
शराब पीने के बाद शरीर में शरीर में कैसे महसूस होता है?
जब कोई व्यक्ति शराब रेगुलर(प्रतिदिन) और ज्यादा मात्रा में पीना शुरू कर देता है तो उसके शरीर में ‘टेट्रा हाइड्रो आइसोक्वीनोलिन (tetra hydro isoquinoline)’ नाम का केमिकल बनने लगता है. इस केमिकल के जटिल नाम में उलझने की बजाय ये समझ लीजिए कि ये केमिकल न्यूरोट्रांसमिटर्स (Neurotransmitters) के जरिए बताता है कि शरीर को और अल्कोहल(शराब) की आवश्यकता है, जिसके बाद चाहकर भी वह व्यक्ति शराब को छोड़ नहीं पाता हैं और वो व्यक्ति शराब की लत में फंसता चला जाता है.
इसे भी पढ़ें: महिलाओं में ज्यादा शराब पिने से बढ़ रहा है हृदय रोग का खतरा. क्या है सही मात्रा?