Food and Agriculture Organization: इस रिपोर्ट में और क्या कुछ कहा गया है यहां जानें…

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Food and Agriculture Organization: भारत ने 2010 से 2020 के बीच सबसे ज्याद फॉरेस्ट एरिया बढ़ाने वाले टॉप 10 देशों में शामिल है जहां भारत तीसरे स्थान पर है। ‘द स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स फॉरेस्ट्स’ की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने 2010 से 2020 के बीच सालाना 2,66,000 हेक्टेयर फॉरेस्ट एरिया जोड़ा है।
यह जानकारी FAO की एक नई रिपोर्ट में है। जिसे 22 जुलाई को जारी किया गया।

लिस्ट में पहले नंबर पर चीन है जिसने 1,937,000 हेक्टेयर फॉरेस्ट एरिया बढ़ाया है।
वही लिस्ट में दूसरे नंबर पर ऑस्ट्रेलिया है जिसने 4,46,000 हेक्टेयर फॉरेस्ट एरिया जोड़ा है। और फिर तीसरे नंबर पर आता है प्यारा भारत।

इसके अलावा टॉप 10 देश

चिली,
वियतनाम,
तुर्की,
अमेरिका,
फ्रांस,
इटली
और रोमानिया ने अपनी जगह बनाई हैं।

यूएन एजेंसी ने भारत की तारीफ़ भी की है। UN agency ने भारत के प्रयासों की तारीफ की जिसमें बेकार हो रही जमीन के रखरखाव की कोशिश पर भारत की सराहना की गई। साथ ही कृषि वानिकी यानी agroforestry का दायरा बढ़ाने पर भी यू.एन एजेंसी ने भारत की तारीफ़ की।

रिपोर्ट में फॉरेस्ट डिफोरेस्टेशन में आई बड़ी कमी को भी दिखाया गया है। आंकड़ों के मुताबिक, इंडोनेशिया में जंगलों की कटाई 8.4 % तक 2021-22 में कम हुई। जबकि ब्राजील के अमेजन फॉरेस्ट में 50 % तक की कमी 2023 में आई।

FAO रिपोर्ट ने यह भी बताया कि 2000 से 2010 और 2010 से 2020 के बीच वैश्विक मैंग्रोव के नुकसान की दर में 23 प्रतिशत की कमी आई है।
लेकिन खाद्य और कृषि संगठन ने जोर देते हुए ये भी कहा कि क्लाइमेट चेंज से जंगलों की असुरक्षा का खतरा बढ़ रहा है।

किन देशों के पास हैं पूरी दुनिया भर का आधे से वन क्षेत्र

दुनिया भर के आधे से ज्यादा फॉरेस्ट एरिया केवल इन 5 देशों के पास के हैं। जो मिलकर 54% है। इन 5 देशों में – रूस, ब्राजील, कनाडा, अमेरिका और चीन शामिल हैं।

वहीं, 10 देशों के पास पूरी दुनिया के वन क्षेत्र का ⅔ हिस्सा है। ये 10 देश ऑस्ट्रेलिया, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, इंडोनेशिया, पेरू साथ ही भारत हैं।

जंगलों में आग से बहुत नुकसान।

रिपोर्ट में कहा गया है कि जंगलों में आग लगने की इंटेंसिटी और फ्रीक्वेंसी लगातार बढ़ रही है। 2021 में जंगल में लगने वाली आग से बोरयाल फॉरेस्ट का करीब एक चौथाई हिस्सा कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन से भर गया था।

वहीं, 2023 में, वाइल्ड फायर से दुनियाभर में लगभग 6,687 मेगाटन कार्बन डाइऑक्साइड एमिशन हुआ, जो 2023 में ही यूरोपियन यूनियन में फॉसिल फूल्स जलाने के दोगुने से भी ज्यादा था।

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