Generation Z : एक नई सर्विस में खुलासा हुआ है कि कई सिर्फ कंपनियां Gen Z को नौकरी देने से बच रही है और कई उन्हें नौकरी देने के बाद कुछ ही महीना में निकाल दे रही है कंपनियों का कहना है कि वह हाल ही में कॉलेज से निकले नौजवानों को कम पर रखने से बचना चाहती है क्योंकि उन्हें उनके काम करने के तरीके कम्युनिकेशन स्किल्स और काम के प्रति उनका बेपरवाह व्यवहार पसंद नहीं आ रहा।
दुनिया भर में कई कंपनियां जेनरेशन कर्मचारियों को नौकरी से निकल रही है 1990 के दशक के अंत और 2000 के दशक की शुरुआत में पैदा हुए लोगों को जनरेशन Z कहा जाता है अगर देखा जाए तो यह पूरी इंटरनेट के साथ बड़ी होने वाली पहली पीढ़ी है यह युवा और जो उसे भरपूर है लेकिन कंपनियां इन्हें काम देने से कतरा रही है।
युवाओं को क्यों काम पर नहीं रख रही कंपनियां।
जेनरेशन Z को लेकर हुए एक नए सर्वे में बताया गया है कि दुनिया भर में एक चलन बढ़ रहा है जिसमें कई सिर्फ कंपनियां जैन जी के युवाओं को कम पर रखने से बच रही है और कई उन्हें नौकरी देने के कुछ ही महीना बाद निकाल दे रही है कंपनियों का कहना है कि वह हाल ही में कॉलेज से निकले नौजवानों को काम पर रखने में हिचकी जा रहे हैं क्योंकि उन्हें उनके काम करने के तरीके और कम्युनिकेशन के प्रति उनका व्यवहार पसंद नहीं आ रहा।
किए गए सर्वे के अनुसार 10 में शिक्षा रिक्रूटमेंट ने कहा कि उन्होंने इस साल कई कॉलेज से पास हुए लोगों को नौकरी से निकला है जबकि साथ में से एक रिक्रूटर ने यह बताया कि वह अगले साल अपनी कंपनी में नए ग्रेजुएट को कम पर रखने से बचना चाहते हैं।
सर्वे में हुआ खुलासा।
सर्वे में करीब 1000 कंपनियों के प्रतिनिधित्व ने भाग लिया था जिसके रिजल्ट सबसे पहले न्यूजवीक ने रिपोर्ट किए थे।
स्पोर्ट के मुताबिक मुख्य शिक्षा और कैरियर विकास सलाहकार गुयेन ने कहा हाल ही में पास हुए नौजवानों को पहली बार ऑफिस के कामकाजी माहौल में खुद को डालने में कठिनाइयां हो सकती है क्योंकि यह उनकी कॉलेज लाइफ से बिल्कुल अलग है।
गुयेन ने कहा कि कंपनियों के मालिक इस जनरेशन में पैदा हुए लोगों को कम पर रखने को लेकर अनिश्चित है क्योंकि इस पीढ़ी के लोग कार्य स्थल के वातावरण संस्कृति और जिम्मेदारी के लिए तैयार नहीं है।
युवाओं के बीच प्रोफेशनलिज्म की कमी।
गुयेन ने कहा कि इन युवाओं के पास कॉलेज से मिला थोड़ा संधानित ज्ञान तो होता है लेकिन इन लोगों के पास आमतौर पर व्यावहारिक वास्तविक दुनिया के अनुभव और ऑफिस के वर्क कल्चर में शामिल होने के लिए जरूरी स्किल की कमी है।
अपने से पहली पीढ़ी के समक्ष कछुआ को उलट जनरेशन के को लोग के बीच यह समस्या जारी देखी जाती है जिनमें कम पर फोकस की कमी आलस और काम के प्रति गंभीरता में कमी शामिल यह सभी डिजिटल दुनिया में पहले बड़े होने के दुष्परिणामों की वजह है।
युवाओं का काम संतोषजनक नहीं।
इस सर्वे में शामिल हुए लगभग 75% कंपनियों ने कहा कि उन्हें हाल ही में कॉलेज से पास हुए लोगों का काम संतोषजनक नहीं लगा।
वही सर्वे में शामिल करीब आधे से ज्यादा रिक्वेस्ट ने कहा की जनरेशन के के लोगों के बीच प्रेरणा की कमी सबसे अधिक देखी गई जबकि 40% लोगों ने कहा कि उनमें कम्युनिकेशन स्किल्स की कमी है।