Haryana Assembly Election: हरियाणा विधानसभा चुनाव अपने अब अंतिम चरण में दलित राजनीति भी केंद्रित हो गई है अब एक बात स्पष्ट हो गई है कि दलितों का वोट जिधर जाएगा उसे पर भी निर्भर करेगा कि सरकार किसकी बनेगी देखना है कि दलितों को पटाने की किसकी राजनीति सब पर भारी पड़ती है।
हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए आज वोटिंग हो रही है चुनाव प्रचार के अंतिम दौर में कांग्रेस और बीजेपी में सीधी टक्कर हो गई है इनेलो और जेपी और आम आदमी पार्टी के त्यौहार नरम पड़ गए हैं इसके चलते एक-एक वोट महत्वपूर्ण हो गए हैं पर पिछले 7 दिनों में अचानक हरियाणा की राजनीति दलितों पर केंद्रित हो गई.
भारतीय जनता पार्टी के बड़े-बड़े नेता जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गृह मंत्री अमित शाह आदि भी शामिल है के भाषणों में दलितों के हित की बात कुछ ज्यादा ही होने लगी कांग्रेस में कुमारी शैलजा को मनाने के लिए एटीट्यूड का जोर लगाया है सोनिया गांधी तक से कुमारी शैलजा की मुलाकात को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है अशोक तंवर की घर वापसी भी कांग्रेस ने इसलिए ही कराई है सवाल उठता है कि अचानक बीजेपी और कांग्रेस का फोकस दलितों पर क्यों हो गया है।
वोटिंग से न पहले शैलजा और सोनिया गांधी की मुलाकात क्या एक स्ट्रेटजी है।
हरियाणा विधानसभा चुनाव में अपने साथियों को टिकटना दिलवा पानी और हुड्डा समर्थकों को अधिक टिकट दिए जाने से कुछ दिनों पहले कुमारी शैलजा पार्टी से नाराज हो गई थी उन्होंने करीब दो हफ्ते चुनाव प्रचार से दूरी बनाकर अपनी नाराजगी स्पष्ट कर दी थी फिलहाल राहुल गांधी उन्हें मना कर वापस ले आए एक सभा के दौरान उन्होंने भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी शैलजा के हाथों को जबरन मिलवाया भी पर शायद केवल हाथ ही मिले दिल नहीं मिले सके यही कारण है कि कुमारी शैलजा की मुलाकात सोनिया गांधी से भी करवाई गई है पर राजनीति विशेषज्ञ इसे कांग्रेस की रणनीति भी मानते हैं।
मिर्चपुर और गोहाना के मुद्दे को जिंदा किया गया।
भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने इन चुनाव में भरकश कोशिश किया कि दलितों को यह बात समझ सके कि कांग्रेस राज्य में उनके साथ बहुत अत्याचार हुए थे दरअसल गोहाना में 2005 में और मिर्जापुर में 2010 में दलित जाट संघर्ष हुआ था दोनों ही घटनाओं में दलितों के घर जलाए गए थे मिर्जापुर में एक बच्ची और एक बुजुर्ग को जिंदा जला दिया गया था भाजपा नेताओं पीएम मोदी नरेंद्र मोदी गृह मंत्री अमित शाह मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल आदि ने बार-बार अपनी चुनावी रैलियां में इस घटना का जिक्र किया पर लगता नहीं है कि भाजपा अपने मकसद में कामयाब हो सकी है.
कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के पहले से आरक्षण बचाओ और वां संविधान बचाओ का मुद्दा हरियाणा चुनाव में भी काम करता नजर आ रहा है दूसरे बीजेपी के पास कोई दलित लोकप्रिय नेता नहीं है जिसके नाम पर हरियाणा बीजेपी के पक्ष में एकजुट किया जा सके अशोक तवर को पार्टी ने स्टार प्रचारक बनाया था पर उनका कांग्रेस में जाना भी कट पार्टी को भारी पड़ने वाला है दूसरी बात यह भी है कि अगर वोटिंग के दो दिन पहले कोई नेता अचानक भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आ रहा है तो इसका सीधा मतलब है को छोड़कर आ रहा है उसकी स्थिति जनता के बीच कमजोर हो गई है।
मायावती और आसपा का कितना जोर होगा।
हरियाणा चुनाव में दलित वोट की राजनीति केंद्र में है वह इस तरह समझ सकते हैं कि केवल कांग्रेस और बीएसपी ही नहीं ईनलो और जेजेपी भी दलित वोटो को लेकर आसान्वित है इनेलो ने अपना पार्टनर बीएसपी को और जननायक जनता पार्टी ने आजाद समाज पार्टी को बनाया है।