मानवता (Humanity), जिसका आज के समाज में अस्तित्व बिल्कुल समाप्त होने को है या कहें कि समाप्त हो चुका है, एक ऐसी चीज है जो एक इंसान को इंसान बनाने का काम करती है। बिना मानवता के कोई भी मनुष्य, मनुष्य नहीं कहला सकता। लेकिन आधुनिक समय में मानवता किसी किसी में ही देखने को मिलती है, जो कि बेहद चिंता का विषय है। लोग अपने लालच में इतना डूब चुके है कि उन्हें किसी दूसरे व्यक्ति की भावनाओं से कोई लेना देना नहीं है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अभी कलयुग अपने पैर पसार रहा है। और अभी तो ये केवल कलयुग की शुरुआत है।
मानवता किसी स्कूल या कॉलेज में सिखाई जाने वाली कोई चीज नहीं है, बल्कि यह तो पारिवारिक संस्कार पर पूरी तरह से निर्भर है। केवल माता पिता, अध्यापक अपने बच्चों में ऐसे संस्कार का बीज रोपित कर सकते है जो भविष्य में व्यक्ति को मानवता की उचित पहचान कराने में सक्षम हो। समाज में कई लोग ऐसे भी है जो मानवता और इंसानियत के लिए निरंतर कार्यरत है।
ताकि एक सभ्य समाज का गठन किया जा सकें। अब एक प्रश्न यहाँ यह उठता है कि क्या मानवता का पाठ पढ़ाने के लिए व्यक्ति को आर्थिक रुप से सक्षम होना अनिवार्य है या बगैर धन दौलत के भी मानवता जिंदा रह सकती है। आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे मानवता के निरंतर कम होने की वजहें और कुछ ऐसे उपाय जो लोगों में मानवता बढ़ाने का काम करेंगे।
समाज में मानवता क्यों हो रही है कम?
मानवता कम होना यानि इंसानियत बिल्कुल भी ना होना। ऐसे व्यक्ति का समाज में रहना ना केवल व्यक्ति के लिए बल्कि समाज के लिए भी उतना ही खतरनाक है जितना कि एक जहरीले साँप के बीच में जिंदा रहना। आइए जानते है मानवता के कम होने के प्रमुख कारण
तकनीकी ज्ञान में बढोतरी
आधुनिक युग में तकनीकी को निरंतर अपग्रेड किया जा रहा है। जो मानवता को खत्म करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। तकनीक आ जाने से लोग समाज को भूलते जा रहे है। वे तकनीकी ज्ञान का प्रयोग केवल अपने मतलब के लिए करते है जो कि सरासर गलत है। और इंसानियत को कम करने या खत्म करने में बड़ा रोल अदा करते है।
वर्चुअल रिश्ते
इंटरनेट और मोबाइल फोन के आ जाने से लोग वर्चुअल रिश्तों पर ज्यादा यकीन करते है और उन्हें भविष्य में धोखे का शिकार होना पड़ता है। जिस कारण उनका सब पर से विश्वास टूट जाता है। जो इंसानियत को खत्म करने का बड़ा कारण है।
केवल अपने बारे में सोचना
आज के समय में लोगों की मानसिकता केवल अपना अपना भरने वाली हो गई है। लोगों से दूसरे लोगों की सफलता बिल्कुल भी नहीं देखी जा सकती। और वो उसे नीचा दिखाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते है। जो इंसानियत को शर्मसार करता है। समाज में ऐसी मानसिकता वाले लोग ही इंसानियत के खिलाफ व मानवता के खिलाफ अपना कार्य करते है।
दूसरों के दु:ख से कोई लेना देना नहीं
आधुनिक युग में लोग केवल अपने दु:ख को ही अपना समझते है, उनके लिए सामने वाले के दु:खों का कोई मोल नहीं है। आश्चर्य की बात तो यह है कि लोग ना केवल सामने वाले को दुख में देखते है बल्कि उनका तमाशा बनाने का काम भी वहीं लोग करते है। आज के इस आधुनिक समय में लोग लाचार व्यक्ति का मजाक बनाते हुए उसकी विडियो और फोटोज बनाने का काम तो करते है लेकिन उस व्यक्ति की मदद करने की कोई नहीं सोचता।
लोगों में असयंम, लोभ, ईर्ष्या का पनपना
आजकल लोगों में असयंम, लोभ, ईर्ष्या जैसी कुसंगतियां का विस्तार बहुत ज्यादा हो रहा है। जो मानवता को खत्म करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाते है। असयंम व्यक्ति को बहुत ज्यादा चिलमिला देता है। और व्यक्ति वह सब भी करता है जो इंसानियत को शर्मसार करता है। इसी तरह से लोभ, ईर्ष्या भी व्यक्ति में इंसानियत को कम करता है।
कलयुग में कैसे लोगों में करें मानवता के बीज का रोपण
मानवता का बीज रोपित किया जाना किसी भी एक व्यक्ति के बस की बात नहीं हैं। क्योंकि मानवता प्रकृति निर्मित नहीं है बल्कि यह मानव द्वारा इंसानियत के लिए बनाई गई एक अवधारणा है जो इंसानियत को बनाए रखने और इंसानों में अच्छाई को बढाने के लिए कारगर सिद्ध होगी।
अभिभावक लें जिम्मेदारी
अभिभावकों का बच्चों में इंसानियत की भावना का बीज रोपित करना और उसे निरंतर बनाए रखना सबसे बड़ा कर्तव्य होता है क्योंकि बच्चों की परवरिश को बेहतर बनाना केवल और केवल अभिभावकों का काम होता है।
बचपन से ही बताएं बच्चों को समाज का महत्व
समाज में रहना प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक अनिवार्य आवश्यकता है, बिना समाज के कोई भी व्यक्ति नहीं रह सकता। क्योंकि मनुष्यों को अपने विकास के लिए व आस पास की गतिविधियों में शामिल होने के लिए समाज की बहुत ज्यादा जरुरत होती है।
शिक्षा के स्तर में सुधार करने की आवश्यकता
आधुनिक समय में शिक्षा का स्तर काफी नीचे चला गया है। शिक्षा के स्तर में उल्लेखनीय वृद्धि की समाज में बहुत ज्यादा आवश्यकता है। और केवल बच्चों को किताबी कीड़ा भी नहीं बनाया जाना चाहिए, उन्हें सामाजिक मूल्यों व व्यवहारिक जीवन की संपूर्ण जानकारी दी जानी चाहिए।
दिल से रिश्तों को निभाना
आजकल के समय में लोग रिश्तों को निभाना बिल्कुल भूल चुके है। लोग रिश्तों को दिल की बजाय दिमाग से निभाने की कोशिश करते है। जो कि रिश्तों में विश्वाशघात का कारण बनता हैं.
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