Hypersomnia Sleep Disorder : हाइपरसोमनिया एक डिसऑर्डर है जिसमे नींद ज्यादा आती है, इसमें हर वक्त नींद का नशा होता रहता है। दिन में कोई भी काम करते वक्त थकावट, आलसीपन महसूस होता है। नतीजन हमेशा ही नींद आती रहती है। ऐसी स्टेट व्यक्ति के फिजिकल, मेंटल, और सोशल लाइफ पर नेगेटिव इफेक्ट डालती है। इस वेब पोस्ट में, हम हाइपरसोमनिया के लक्षण, सावधानियां, बचने के तरीके और ट्रीटमेंट पर डिटेल में जानेंगे।
हाइपरसोमनिया के लक्षण
जरूरत से ज्यादा दिन में नींद आना: दिन के समय में भी खली या काम करते वक्त जरूरत से ज्यादा नींद आना।
लंबी नींद की अवधि: सामान्य तौर पर हमें जितनी नींद चाहिए होती है उससे ज्यादा सोने की आवश्यकता महसूस होना।
सुस्ती और थकान: दिनभर सुस्ती और थकान का अनुभव।
कंसंट्रेट करने में मुश्किल होना: किसी चीज पर ध्यान लगाने में और याद करने में कमी महसूस होना।
मूड स्विंग्स: जल्दी- जल्दी मूड़ का बदल जाना और चिड़चिड़ापन।
हाइपरसोमनिया के कारण
अनिद्रा: प्रॉपर एंड डीप स्लीप का अभाव।
शारीरिक समस्याएं: थायरॉइड, मोटापा और नींद के दौरान सांस लेने में दिक्कत।
मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं: डिप्रेशन और चिंता।
जीवनशैली: अनियमित जीवनशैली, खराब खानपान और शारीरिक गतिविधियों की कमी।
सावधानियाँ
रुटीन रेगुलर स्लीप: डेली एक ही समय पर सोने और उठने की आदत डालें।
कैफीन और अल्कोहल से खास दूरी: ये पदार्थ नींद को प्रभावित कर सकते
कंफर्टेबल स्लीप एनवॉर्नमैंट: अंधेरा, शांति और ठंडे माहौल में सोएं।
सही पिलो और मैट्रेस को चुनें: सही तकिया और गद्दे का न होना भी कई चीजों को प्रभावित करता है। जैसे – पोस्चर का बिगड़ना। नींद में रुकावट।
फूड हैबिट्स : संतुलित और पौष्टिक आहार लें।
हाइपरसोमनिया से निजात पाने के तरीके
मेडिटेशन और योग: ध्यान और योग से मानसिक शांति और नींद की गुणवत्ता में सुधार होता है।
नियमित व्यायाम: प्रतिदिन 30 मिनट वर्कआउट करें। ऐसा करना शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।
डॉक्टर्स की सलाह: गंभीर स्थिति में डॉक्टर की सलाह लें।
थेरापी: CBT स्लीप डिसॉर्डर में सहायक होती है।
दवाइयाँ: डॉक्टर के निर्देशानुसार उचित दवाओं का सेवन करें।
जीवनशैली में बदलाव
समय प्रबंधन: अपनी दिनचर्या को इस प्रकार व्यवस्थित करें कि पर्याप्त नींद मिल सके।
टेक्नोलॉजिकल डिवाइस: सोने से पहले मोबाइल, लैपटॉप और टीवी का कम उपयोग करें।
सोशल एक्टिविटीज: सोशल एक्टिविटीज में हिस्सा लें जिससे मेंटल पीस बनी रहे।
हाइड्रेशन: खूब पानी पिएं।
Conclusion :
हाइपरसोमनिया हल्के में लेने वाली स्थिति नहीं है, ये उस व्यक्ति की की प्रोडक्टिविटी पर असर डालता है। इसके लक्षणों की पहचान कर, सावधानियाँ बरत कर और सही ट्रीटमेंट अपनाकर इससे निजात पा सकते हैं। हाइपरसोमनिया के लक्षण महसूस हों, तो तुरंत मेडिकल ट्रीटमेंट का सहारा लें।
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