Jammu Kashmir Assembly Election Opinion: एग्जिट पोल में बीजेपी जम्मू कश्मीर में बहुमत से बहुत दूर लेकिन सत्ता के काफी करीब नज़र आ रही है अगर नेशनल कांफ्रेंस गठबंधन स्पष्ट बहुमत नहीं हासिल कर पता तो अभी से ही समझ लेना चाहिए सट्टा उसके हाथ नहीं आने वाली है।
एग्जिट पोल सर्वे के मुताबिक तो इंडिया ब्लॉक के बैनर तले चुनाव लड़ रहे कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस गठबंधन को बढ़त मिलती नजर आ रही है और भारतीय जनता पार्टी साफ तौर पर पीछे रही है लेकिन राजनीति हमेशा आंकड़ों की मोहताज नहीं होती।
राजनीति में सट्टा जिसके हाथ में होती है उसके पास बहुत सारे हथकंडे होते हैं और लोहा भले ही आपस में एक दूसरे को काटता रहे लेकिन सट्टा वह चुंबक है जिसकी तरफ लोहा खिंचा चला भी आता है थोड़ा इंतजार करना होगा जम्मू कश्मीर में भी 2019 के हरियाणा की तरह खेल देखने को मिल सकता है।
काफी हद तक मुमकिन है कि हरियाणा में जो रूल 2019 में जननायक जनता पार्टी के नेता दुष्यंत चौटाला ने निभाया था वह पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती भी इस भूमिका में देखने को मिल सकता है कौन कहता है राजनीति में पुरानी मोहब्बत जिंदाबाद नहीं बोलता है।
जम्मू कश्मीर में सूरत ए हाल।
एग्जिट पोल के मुताबिक बीजेपी को इस बार 27 से 32 सिम मिलने की संभावना जताई जा रही है जो पिछली बार यानी 2014 में मिली 25 सीटों से ज्यादा हो सकती है ध्यान रहे तब भारतीय जनता पार्टी और पीडीपी की गठबंधन की सरकार बनी थी अव्वल तो वैसी सूरत में इस बार मुख्यमंत्री पद पर दवा बीजेपी का ही बनता है लेकिन महबूबा मुफ्ती ने तगड़ी सौदेबाजी की तो फिर से बात बन भी सकती है।
पिछली बार पीडीपी ने 28 सिम जीतने में कामयाब हुई थी लेकिन इस बार उसे 6 से 12 सिम ही मिलती लग रही है कम से कम 16 से 22 सीटों का सीधा नुकसान समझ लीजिए।
और वैसे ही अन्य दलों के हिस्से में इस बार 6 से 8 सिम मिलने का अनुमान है हालांकि आंकड़ों को तुलनात्मक तरीके से देखते वक्त यह भी ध्यान रखना चाहिए कि यह चुनाव डेलीमिटेशन के बाद हो रहा है।
नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस की बात करें तो इस बार उनके हिस्से में डबल सिम आई हुई लग रही है 2014 में नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस को मिलाकर कुल 24 सीट मिली थी जबकि इस बार की एग्जिट पोल में 40 से 48 सीटे मिलने की संभावना है।
जिस तरह बीजेपी ने हड़बड़ी में पांच विधायकों को नॉमिनेट करने का फैसला किया है साफ तौर पर समझा जा सकता है कि वह सरकार बनाने की कवायत में पहले से ही जुट गई है।
बहुमत से दूर सत्ता के करीब बीजेपी।
जम्मू कश्मीर के लोगों को उनका वाजिब हक दिलाने का दावा और वादा करने वाली बीजेपी के हिस्से में 27 से 32 सिम ही मिलने की संभावना जताई जा रही है और उपराज्यपाल की तरफ से विधायकों के मोनी के बाद यह आंकड़ा सीधे 37 तक पहुंचा जा सकता है।
अब अगर महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी की खाते में 6 से 12 सीटे मिल रही है और बाकी बचे क्षेत्रीय दलों और निर्दलीयों के खाते में 6 से 11 सीटे जाने का अंदाजा है तो बहुमत जुटाने के लिए बीजेपी को बस महबूबा मुफ्ती और निर्दलीयों को साधना होगा।।
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