Lateral Entry Controversy:-केंद्र सरकार जल्द ही लेटरल एंट्री से होने वाली भर्ती के विज्ञापन को रद्द करने की योजना बना रही है। कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT) के मंत्री जितेंद्र सिंह ने इस संदर्भ में संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) को पत्र लिखा है। इस पत्र के जरिए उन्होंने लेटरल एंट्री के तहत निकाले गए विज्ञापन को रद्द करने का अनुरोध किया है, और यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हुई बातचीत के बाद उठाया गया है।
Lateral Entry Controversy लेटरल एंट्री क्या है?
लेटरल एंट्री के जरिए निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों और पेशेवरों को सरकारी मंत्रालयों में जॉइंट सेक्रेटरी, डायरेक्टर, और डिप्टी सेक्रेटरी जैसे प्रमुख पदों पर नियुक्त किया जाता है। इसका उद्देश्य था कि सरकारी क्षेत्र में नए दृष्टिकोण और अनुभव लाने के लिए प्राइवेट सेक्टर से योग्य लोगों को नियुक्त किया जाए। यह नियुक्तियां कॉन्ट्रैक्ट आधारित होती हैं, जो आमतौर पर दो से तीन साल की अवधि के लिए होती हैं, और प्रदर्शन के आधार पर बढ़ाई जा सकती हैं।
विवाद और विपक्ष की प्रतिक्रिया:
लेटरल एंट्री के जरिए नियुक्तियों को लेकर विपक्ष ने सरकार की आलोचना की है। विपक्ष का कहना है कि यह व्यवस्था सरकारी नौकरी में आरक्षण को कम करने और प्राइवेट सेक्टर के लोगों को प्राथमिकता देने के लिए की जा रही है। विपक्ष के इस हमले के बाद सरकार ने इस भर्ती प्रक्रिया पर पुनर्विचार किया और इस संबंध में विज्ञापन रद्द करने का निर्णय लिया।
लेटरल एंट्री से अब तक कितनी नियुक्तियां हुईं? मंत्री जितेंद्र सिंह ने 9 अगस्त 2024 को राज्यसभा में बताया था कि पिछले पांच वर्षों में लेटरल एंट्री के जरिए 63 पदों पर नियुक्तियां की गई हैं, जिनमें से 57 अधिकारी वर्तमान में विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में कार्यरत हैं।