Loneliness and Mental Health: मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, जिसे जीवन जीने के लिए सुरक्षित सामाजिक परिवेश की आवश्यकता होती है। किसी भी मनुष्य को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए भी सामाजिक संबंध बेहद जरुरी हैं। बिगड़े हुए सामाजिक रिश्ते अकेलेपन का कारण बन सकते हैं, जिससे वजह से व्यक्ति को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
अकेलापन अवसाद, शराब का सेवन, बाल शोषण, नींद की समस्या, व्यक्तित्व विकार और अल्जाइमर रोग जैसे विभिन्न मानसिक बिमारियों को जन्म दे सकता है। इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि अकेलेपन का हमारी मानसिक स्वास्थ्य पर सीधा और गहरा प्रभाव पड़ता है। नेशनल इंस्टीट्यूट्स ऑफ हेल्थ (National Institutes of Health-NIH) के अनुसार, अकेलेपन का सिर्फ मानसिक स्वास्थ्य ही नहीं, बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य पर भी बहुत बुरा असर पड़ता है।
अकेलापन क्या होता है? Loneliness and Mental Health
अकेलापन एक दर्दनाक भावना है, जो हमें दर्द की याद दिलाती है और अलग-थलग होने के खतरे की चेतावनी देती है। यह हमारे जीवन में जरूरी सामाजिक संबंधों की अनुपस्थिति और वर्तमान सामाजिक रिश्तों में स्नेह की कमी के कारण होता है। अकेलापन केवल अकेले रहने से नहीं होता, बल्कि किसी महत्वपूर्ण और करीबी रिश्ते का हमारे पास न होने से भी होता है। अकेलापन मानसिक स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है, इस बारे में विस्तार से जानने के लिए आइये हम कुछ तथ्यों पे चर्चा करते है|
अकेलापन और उसका प्रभाव
अकेलापन सिर्फ अकेले रहने से नहीं होता, बल्कि किसी महत्वपूर्ण और करीबी रिश्ते के बिना भी हो सकता है। मनोचिकित्सकों के अनुसार, अकेलापन अवसाद, चिंता, और अन्य मानसिक विकारों का कारण बन सकता है। फरीदाबाद के फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल में एसोसिएट सलाहकार और मनोचिकित्सक डॉ. त्रिदीप चौधरी बताते हैं कि मनुष्य स्वभाव से ही एक सामाजिक प्राणी है। जब हम दूसरों से मिलते हैं, उनकी आवाजें सुनते हैं, उन्हें देखते हैं या छूते हैं, तो हमारी इंद्रियां सक्रिय हो जाती हैं और हमें खुशी का अहसास होता है।
शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है अकेलापन
अकेलेपन के कारण डायबिटीज, रुमेटीइड गठिया, ल्यूपस जैसे ऑटोइम्यून विकार, कोरोनरी हृदय रोग, उच्च रक्तचाप (एचटीएन), मोटापा, कैंसर आदि जैसे बिमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। ध्यान न देने पर अकेलापन मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर गंभीर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। इसलिए, अकेलेपन को रोकने के लिए सही समय पर उसपे ध्यान देकर उचित कदम उठाना बेहद ही जरूरी है, ताकि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सके।
मेंटल हेल्थ को कैसे प्रभावित करता है अकेलापन
अकेलेपन पर बात करते हुए डॉ. त्रिदीप कहते हैं कि मनुष्य स्वभाव से ही एक सामाजिक प्राणी है और यह स्वभाव स्वस्थ जीवन में उनकी मदद करता है। जब हम दूसरों से मिलते हैं, उनकी आवाजें सुनते हैं, उन्हें देखते हैं या छूते हैं, तो इससे हमारे सेंसरी पाथवेज सक्रिय हो जाते हैं। इससे हमारी इंद्रियां जागृत होती हैं और हमें खुशी का अहसास होता है। इसके अलावा, जब हम दूसरों के साथ बातचीत करते हैं, तो हम अपने विचार साझा करते हैं और दूसरों के विचार और राय की मदद से कठिन परिस्थितियों से निपटने में सहायता प्राप्त करते हैं।
किन लोगों को है अकेलेपन का ज्यादा खतरा
डॉक्टर आगे कहते हैं कि कभी-कभी अवसाद जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं वाला व्यक्ति अकेले रहना पसंद कर सकता है। इसी तरह, विभिन्न एंग्जायटी डिसऑर्डर जैसे सोशल फोबिया और एगोराफोबिया में व्यक्ति सामाजिक अवसरों या भीड़ वाली जगहों पर जाने से बच सकता है। इस प्रकार, अकेलापन मानसिक स्वास्थ्य को खराब कर सकता है या पहले से ही खराब मानसिक स्वास्थ्य का परिणाम हो सकता है, जिसे पहचानना आवश्यक है।
विशेषज्ञों की राय
डॉ. त्रिदीप चौधरी का कहना है कि अकेलापन हमारे सेंसरी पाथवेज को निष्क्रिय कर सकता है, जिससे हमें खुशी का अनुभव नहीं होता। जब हम दूसरों के साथ बातचीत करते हैं, तो हम अपने विचार साझा करते हैं और दूसरों के विचार और राय की मदद से कठिन परिस्थितियों से निपटते हैं। लेकिन जब यह सामाजिक संपर्क नहीं होता, तो व्यक्ति अकेला महसूस करने लगता है।
डॉ. त्रिदीप आगे बताते हैं कि अवसाद जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं वाला व्यक्ति अक्सर अकेले रहना पसंद करता है। विभिन्न एंग्जायटी डिसऑर्डर, जैसे सोशल फोबिया और एगोराफोबिया में, व्यक्ति सामाजिक अवसरों या भीड़ वाली जगहों पर जाने से बच सकता है।
समाधान और सुझाव
अकेलेपन को दूर करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं:
सामाजिक संपर्क बढ़ाएं:
दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताना और सामाजिक गतिविधियों में भाग लेना अकेलेपन को कम करने में बेहद प्रभावी है। नए लोगों से मिलें, क्लबों या समूहों में शामिल हों, और अपने समुदाय में सक्रिय रहें। इससे न केवल आपके सामाजिक नेटवर्क का विस्तार होगा, बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में भी सुधार होगा। नियमित सामाजिक संपर्क हमें खुश, स्वस्थ और संतुष्ट महसूस कराता है।
नई गतिविधियों में शामिल हों:
नई गतिविधियों में शामिल होना अकेलेपन को दूर करने और जीवन में नई ऊर्जा को देने का एक अच्छा तरीका है। किसी नए हॉबी या शौक को अपनाना, एक नया क्लब या समूह ज्वाइन करना, या एक नई कला या कौशल का सीखना न केवल हमें नये अनुभवों से रोमांचित करता है, बल्कि हमें अन्य लोगों से भी जोड़ता है और हमें नई प्रेरणा और संतोष प्राप्त करने में मदद करता है।
पेशेवर मदद लें:
अकेलेपन या मानसिक समस्याओं से निपटने में पेशेवर मदद लेना बेहद महत्वपूर्ण है। मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर से सलाह लेना और उसके सुझावों का पालन करना शुरूआती संकेतों को सही कर सकता है और अधिक समस्याओं से बचाव कर सकता है। यह हमें अपनी भावनाओं और सोच को साझा करने में मदद करता है, जिससे हम अपनी समस्याओं को समझते हैं और उन्हें सुलझाने के लिए सकारात्मक कदम उठा सकते हैं।
स्वयंसेवा करें:
अकेलेपन को दूर करने और समाज में सक्रिय रहने के लिए स्वयंसेवा करना एक अच्छा तरीका है। स्वयंसेवा करने से हमें अपने आसपास के समुदाय के साथ जुड़ने का मौका मिलता है और उनकी सहायता करने में संतुष्टि मिलती है। इससे हमें समाज सेवा में भागीदारी का अवसर मिलता है, जिससे हमारी भावनाओं को समझा और सम्मान मिलता है। स्वयंसेवा करने से हमारा स्वास्थ्य भी बेहतर होता है और हमारे मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रोत्साहन मिलता है।
बिजी रहें:
जीवन में बिजी रहना एक सकारात्मक तरीका है जिससे अकेलेपन को दूर किया जा सकता है। व्यस्त रहकर हमें अपने कामों और अधिकारियों में डूबने का अवसर मिलता है, जिससे हमारा मन व्यस्त और उत्साहित रहता है। समय का सही उपयोग करना हमें नए अनुभवों से परिचित कराता है और अपने प्रगति में मदद करता है। इसके अलावा, व्यस्तता हमारी स्वास्थ्य को भी सुधारती है और हमें मानसिक तनाव से बचाती है।
निष्कर्ष
अकेलापन एक गंभीर समस्या है जो मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों पर बुरा असर डाल सकती है। इसे पहचानना और समय रहते उचित कदम उठाना बेहद जरूरी है। सही समय पर सही कदम उठाकर हम अपने मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं। विशेषज्ञों की राय और उनके सुझावों का पालन करके हम अकेलेपन से बेहतर तरीके से निपट सकते हैं और एक स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।