Mobile Tariff Hike: प्रीपेड और पोस्टपेड मोबाइल टैरिफ 3 July 2024 से महंगा हो गया है. देश की तीनों दिग्गज टेलीकॉम कंपनियों ने रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने 25 प्रतिशत तक मोबाइल की टैरिफ को बढ़ा दिया है जिसके चलते मोबाइल इस्तेमाल करने वाले कस्टमर्स की जेब कटने वाली है. तीनों मोबाइल सिम कंपनियों के टैरिफ बढ़ाने के बाद केंद्र में मोदी सरकार मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के निशाने पर आ गई है. कांग्रेस नेता “रणदीप सुरजेवाला” ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि, मोदी सरकार ने 109 करोड़ मोबाइल फोन यूजर्स पर सालाना की दर से 34,824 करोड़ रुपये का बोझ डाल दिया है.
सरकार की सहमति से बड़ाई गई टैरिफ!
प्रेस कॉंफ्रेस करते हुए रणदीप सुरजेवाला ने बताया, कि 3 और 4 जुलाई से तीनों टेलीकॉम कंपनियों ने मोबाइल टैरिफ बढ़ा दिया हैं. उन्होंने कहा, तीनों सेल फोन सिम कंपनियां रिलायंस जियो, भारतीय एयरटेल तथा वोडाफोन आइडिया जिनका मार्केट शेयर 91.6 फीसदी तक है और जिनके 109 करोड़ मोबाइल फोन यूजर्स हैं उन्होंने मोदी सरकार की प्रत्यक्ष सहमति से सालाना 34,824 करोड़ रुपये टैरिफ में बढ़ोतरी का बोझ सिम कस्टमर्स पर डाला गया है.
72 घंटें में तीनों कंपनियों ने बढ़ाया अपना टैरिफ
ट्राई(TRAI) की रिपोर्ट के हवाले से रणदीप सुरजेवाला ने कहा, 31 दिसंबर 2023 तक टेलीकॉम कंपनियां अपने सिम यूजर्स से औसतन 152.55 रुपये हर महीने कमा रही थीं. उन्होंने बताया कि रिलायंस जियो ने अपने टैरिफ रेट में 12 से 27 फीसदी तक की बढ़ोतरी किया है. एयरटेल ने 11 – 21 फीसदी और वोडाफोन आइडिया ने 10 – 24 फीसदी तक अपने टैरिफ बढ़ा दिए हैं.
रणदीप सुरजेवाला ने और आरोप लगाया कि तीनों टेलिकॉम कंपनियों ने आपस में सलाह व मशवरा करके मेहज72 घंटें में ही मोबाइल सिम की टैरिफ बढ़ाने की घोषणा कर दी. उन्होंने बताया कि इस Tariff Hike से रिलायंस जियो को सालाना 17,568 करोड़ रुपये, एयरटेल को 10,704 करोड़ रुपये और वोडाफोन आइडिया को 6552 करोड़ रुपये की अतिरिक्त कमाई होने वाली हैं.
टैरिफ बढ़ने से सरकार पर सवाल
Mobile Tariff Hike को लेकर कांग्रेस ने मोदी सरकार ने कई सवाल भी पूछे हैं. पहला सवाल: कैसे 92 फीसदी मार्केट शेयर वाली टेलीकॉम कंपनियों को एकतरफा 34,824 करोड़ रुपये टैरिफ बढ़ाने की इजाजत दी गई? दूसरा सवाल: सरकार और ट्राई ने 109 करोड़ मोबाइल सिम यूजर्स के प्रति अपनी कर्तब्य और जिम्मेदारी से मुंह फेर लिया? तीसरा सवाल: क्या Mobile Tariff Hike को लोकसभा चुनाव खत्म होने तक टाला गया था? और चौथा सवाल: क्या सरकार या ट्राई ने टेलीकॉम कंपनियों के कैपिटल एक्सपेंडिचर की जरूरतों को लेकर अध्ययन किया है या नहीं?
इसे भी पढ़ें: Mobile Tariff Hike 2024: मोबाइल कंपनियों के टैरिफ बढ़ाने से आपकी जेब पर भी पड़ेगा इतना करोड़ रुपये का असर.