Parliament Explained: लोकसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं और नई सरकार का गठन हो गया है। एनडीए की सरकार एक बार फिर सत्ता में है, और अब 18वीं लोकसभा के नए सांसद संसद पहुंचने वाले हैं। लोकसभा का पहला सत्र भी शुरू हो चुका है।
सत्र शुरू होने से पहले, संसद की कई तैयारियां होती हैं। जैसे सभी सदस्यों को शपथ दिलाई जाती है और स्पीकर का चुनाव होता है। साथ ही, 543 सांसदों को कहां बैठना है, इसका भी निर्णय किया जाता है।
सांसदों की सीटों का निर्धारण कैसे होता है?
सत्र शुरू होने से पहले, संसद भवन में सभी सांसदों को शपथ दिलाई जाती है। यह शपथ उपराष्ट्रपति या उनके द्वारा नियुक्त किसी अन्य सदस्य द्वारा दिलाई जाती है। इसके बाद ही सांसद सदन की कार्यवाही में हिस्सा ले सकते हैं और उन्हें विशेषाधिकार मिलते हैं, साथ ही सदन में वोटिंग का अधिकार भी।
लोकसभा स्पीकर का चुनाव
पहली बैठक के बाद लोकसभा स्पीकर का चुनाव होता है। इसे लोकसभा के सदस्य बहुमत के आधार पर करते हैं। स्पीकर का काम सदन को सुचारू रूप से चलाना और सदस्यों के अधिकारों की रक्षा करना होता है। स्पीकर का चुनाव राष्ट्रपति द्वारा तय किए गए दिन होता है। स्पीकर संसद की संयुक्त बैठक बुलाने, विपक्ष के नेता को मान्यता देने, और दल-बदल कानून के तहत सांसद की सदस्यता पर निर्णय लेने जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाते हैं।
सांसदों की सीटों का फॉर्मूला
सांसदों की सीटें एक खास फॉर्मूले के तहत तय की जाती हैं। उस दल या गठबंधन को जितनी सीटें मिलती हैं, उसे उस लाइन की सीटों से गुणा किया जाता है। फिर उसे सदन की कुल सीटों से डिवाइड किया जाता है। जो संख्या आती है, उतनी सीटें उन सांसदों को सामने की पंक्तियों में मिल जाती हैं। स्पीकर के दाहिनी तरफ सत्ताधारी सांसद और बाईं ओर विपक्ष के सांसद बैठते हैं। विपक्ष के नेता और वरिष्ठ सांसदों को आगे की पंक्तियों में जगह दी जाती है।
इस प्रकार, सांसदों की सीटें तय की जाती हैं ताकि सभी को उचित स्थान मिल सके और सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चल सके
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