Ratan Tata News: यह बात साल 90 के दशक की है जब TATA SONS के अध्यक्ष रहते हुए रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा मोटर्स ने अपनी कर टाटा इंडिया टू लांच किया था लेकिन उस समय टाटा की कारो कि सेल उस हिसाब से नहीं हो पा रही थी जैसा रतन टाटा ने सोचा था।
देश का असली रत्न उद्योगपति रतन टाटा ने दुनिया को अलविदा कह दिया है 86 साल की उम्र में उन्होंने मुंबई के ब्रिज कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली देश उन्हें हमेशा उनके कामों से याद रखेगा रतन टाटा जितने सरल थे उतने ही अंदर से मजबूत थे जब वह किसी काम को ठंड लेते थे तो फिर उसे अंजाम तक पहुंचाने का ही रखते थे ऐसी ही उनकी एक यादगार कहानी है।
रतन टाटा से जुड़ी एक बदले की कहानी है उन्होंने फोड्स मोटर्स के अध्यक्ष से अपने अपमान का बदला बड़ी ही दिलचस्प अंदाज में लिया था।
कैसे शुरू हुई शथी रतन टाटा के बदले की कहानी।
यह बात 90 की दशक की है जब Tata Son’s के अध्यक्ष रहते हुए रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा मोटर्स ने अपने कर टाटा इंडिया लॉन्च तो की थी लेकिन उसे समय टाटा की कारों की सेल उसे हिसाब से नहीं हो पाई थी जैसे रतन टाटा ने सोचा था टाटा इंडिया ग्राहकों का खराब रिस्पांस मिलने और लगातार बढ़ती घाटे के चलते ऐसा समय आया कि उन्होंने पैसेंजर कार्ड डिविजन को बेचने का की फैसला कर लिया इसके लिए उन्होंने अमेरिका कर निर्माता कंपनी फोर्ड मोटर्स से बात की थी।
फोर्ड अध्यक्ष ने किया था अपमान।
जब रतन टाटा ने अपने पैसेंजर कर बिजनेस को फोर्ड मोटर को बेचने का फैसला किया तो लग्जरी कर निर्माता कंपनी कोड के अध्यक्ष बिल्फोर्ड ने उनका मजाक उड़ाया था कोर्ट ने अपमान करते हुए कहा था तुम कुछ नहीं जानते आखिर तुमने पैसेंजर का डिवीजन क्यों शुरू किया अगर मैं यह सौदा करता हूं तो यह तुम्हारे ऊपर बड़ा एहसान होगा।
Ford मलिक को सिखाया सबक।
कोड मलिक के यह सब रतन टाटा के दिल में तीर की तरह लगे लेकिन उनके चेहरे पर यह भाव नहीं आए और उन्होंने शालीनता से Bill Ford की बात सुनने के बाद मन ही मन में बड़ा फैसला कर लिया अमेरिका में अपमानित होने के बाद रतन टाटा ने कर डिवीजन को बेचने का निर्णय डाल दिया और बिल्फोर्ड को ऐसा सबक सिखाया जिसकी उसने कल्पना नहीं की थी।
9 साल में ही ले लिया बदला।
अपने अपमान के बाद भी रतन टाटा शांत रहे और उन्होंने कोई ही तिवारी तो प्रक्रिया नहीं की उसी रात में मुंबई के लिए वापस लौट आए उन्होंने इस अपमान को लेकर कभी किसी से कोई जिक्र नहीं किया बल्कि अपना पूरा ध्यान कंपनी के कार्ड डिविजन को बुलंदियों पर पहुंचने में लगा दिया उनकी मेहनत रंग लाई और करीब 9 साल बाद यानी 2008 में उनकी टाटा मोटर्स दुनिया भर के मार्केट में छा चुकी थी और कंपनी की कार बेस्ट सेलिंग कैटेगरी में सबसे ऊपर आ गई थी।
Bill Ford को आना पड़ा मुंबई।
जब टाटा मोटर्स रतन टाटा की नेतृत्व में आसमान की बुलंदियों छू रही थी तो वही इस अवधि में बिल फोर्ड के नेतृत्व वाली कंपनी फोर्ड मोटर की हालत पतली हो चुकी थी डूबती फोर्ड कंपनी को उभारने के लिए रतन टाटा आगे आए लेकिन उनका यह कदम अपने उसे अपमान का बदला लेने का एक जोरदार तरीका था जो फोर्ड मोटर्स में किया था।