संभल कोर्ट कमिश्नर सर्वे: बवाल के बीच 4 की मौत, समझें प्रक्रिया और कानूनी पहलू
Sambhal:-संभल की शाही जामा मस्जिद में कोर्ट कमिश्नर द्वारा सर्वे के दूसरे दिन बड़ा हंगामा हुआ। ईंट-पत्थर चले, फायरिंग हुई, और इस हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई। यह स्थिति कोर्ट कमिश्नर सर्वे को लेकर उठ रहे सवालों को भी जन्म देती है। इस लेख में हम आपको विस्तार से बताएंगे कि कोर्ट कमिश्नर सर्वे कैसे होता है, इसकी प्रक्रिया क्या है, और इसमें पुलिस और प्रशासन की भूमिका कैसी होती है।
कोर्ट कमिश्नर सर्वे: क्या है प्रक्रिया?
इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता और विधि विशेषज्ञ विकल्प कुमार राय के अनुसार, सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 की धारा 75 के तहत न्यायालय को कमीशन नियुक्त करने की शक्ति दी गई है। इसकी विस्तृत प्रक्रिया आदेश 26 में बताई गई है। यह शक्ति पूरी तरह अदालत के विवेकाधीन होती है और इसका इस्तेमाल न्याय दिलाने के उद्देश्य से किया जाता है।
कब होती है कोर्ट कमिश्नर की आवश्यकता?
- जब किसी विवाद का समाधान केवल साक्ष्यों के आधार पर संभव नहीं हो।
- उदाहरण के लिए, यदि दो पक्षों के बीच आवागमन के रास्ते को लेकर विवाद हो और एक पक्ष का दावा हो कि रास्ता अवरुद्ध कर दिया गया है, तो ऐसी स्थिति में भौतिक स्थिति को न्यायालय के समक्ष पेश करना असंभव हो जाता है।
- न्यायालय ऐसे मामलों में कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति करता है, जो मौके पर जाकर स्थिति का निरीक्षण करता है और रिपोर्ट बनाकर अदालत को सौंपता है।
कोर्ट कमिश्नर: भूमिका और प्रक्रिया
कोर्ट कमिश्नर को न्यायालय का प्रतिनिधि माना जाता है।
- वह मुकदमे से संबंधित स्थल पर जाकर भौतिक स्थिति का निरीक्षण करता है।
- सर्वे के दौरान वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी की जाती है।
- जो भी देखा और समझा जाता है, उसे रिपोर्ट में संकलित कर न्यायालय में प्रस्तुत किया जाता है।
- यह रिपोर्ट अदालत को निष्पक्ष निर्णय लेने में मदद करती है।
न्यायालय का दृष्टिकोण
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति का उद्देश्य केवल साक्ष्य इकट्ठा करना नहीं है, बल्कि अदालत को भौतिक स्थिति की वास्तविक जानकारी देना है।
पुलिस और प्रशासन की भूमिका
कोर्ट कमीशन के दौरान पुलिस और प्रशासन का काम सिर्फ यह सुनिश्चित करना होता है कि सर्वे बिना किसी बाधा के पूरा हो।
- पुलिस का दायित्व केवल कानून-व्यवस्था बनाए रखना है।
- इस प्रक्रिया में सरकार की कोई सीधी भूमिका नहीं होती।
यदि कोई पक्ष सरकार पर पक्षपात या उत्पीड़न का आरोप लगाता है, तो यह कानूनी रूप से सही नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि यह प्रक्रिया पूरी तरह अदालती है।
संभल हिंसा का घटनाक्रम
सर्वे के दौरान हिंसा की घटनाओं ने पूरे मामले को संवेदनशील बना दिया है। न्यायालय और प्रशासन दोनों की निगाहें अब इस पर टिकी हैं कि स्थिति को जल्द से जल्द सामान्य किया जाए।
निष्कर्ष
कोर्ट कमिश्नर का सर्वे अदालत की एक कानूनी प्रक्रिया है, जिसका उद्देश्य विवादित स्थल की सटीक जानकारी जुटाना है। यह प्रक्रिया न्यायालय को निष्पक्षता और पारदर्शिता के साथ निर्णय लेने में मदद करती है। हालांकि, ऐसे मामलों में हिंसा और बाधा उत्पन्न होना न केवल न्याय प्रक्रिया के लिए चुनौती है, बल्कि समाज में शांति बनाए रखने के लिए भी गंभीर चिंता का विषय है।