Suicide Case: काजोल के साथ ‘ट्रायल (Trail) ’ वेब सीरीज में नजर आईं एक्ट्रेस नूर मालबिका दास की आत्महत्या की मामले ने सभी को हिलाकर रख दिया है. बताया जा रहा है कि नूर मालबिका मुंबई के लोखंडवाला में एक किराए के फ्लैट में रहा करती थीं, उनकी पड़ोसियों को जब उनके शव से दूर्गंध आना शुरू हुई तब उनके सुसाइड का ये मामला का खुलासा हो सका. जब पुलिस ने नूर के फ्लैट का दरवाजा खोलकर देखा तो पाया कि नूर की बॉडी सड़ी-गली हालत में पंखे से लटकी हुई मिली थी.
उनके शव से काफी दुर्गंध आ रही थी. नूर ऐसी पहली एक्ट्रेस नहीं हैं जिन्होंने सुसाइड किया हो, इसके पहले भी कई एक्टर्स और एक्ट्रेसेस आत्महत्या कर अपनी जान गवां चुके हैं. मुंबई सहित देश के कई हिस्सों से रोजाना सुसाइड की खबरें सामने आती हैं. लॉकडाउन के बाद आत्महत्या के मामलों में काफी वृद्धि देखने को मिली है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि सपनों का शहर मुंबई या फिर दिल्ली या IIT के लिए पहचानी जाना वाला कोटा या IT Hub बैंगलोर, आखिर किस शहर में सुसाइड के सबसे ज्यादा मामले सामने आते हैं? इन शहरों में सबसे ज्यादा सुसाइड करने वालों में युवा का आकड़ा अधिक हैं.
देश के इन शहर में सबसे अधिक है सुसाइड करने वालों का आंकड़ा
भारत में आत्महत्या एक बहुत बड़ा मसला बना हुआ है. 2022 में NCRB (National Crime Records Bureau) ने देश में आत्महत्या का डाटा को जारी किया था, जिसके मुताबिक, देश में 2022 में 1.71 लाख लोगों ने आत्महत्या की थी, जो 2021 की तुलना में 4.2 फीसदी और 2018 की तुलना में 27 फीसदी ज्यादा थीं. 2022 में प्रति एक लाख जनसंख्या पर आत्महत्या की दर बढ़कर 12.4 बढ़ गई. जो 1967 के बाद से आत्महत्या से होने वाली मौतों की सबसे अधिक है.
अब वहीं सवाल ये उठता है कि सबसे ज्यादा आत्महत्या किन-किन शहरों में होती है? तो बता दें कि 2021 में सबसे ज्यादा आत्महत्या के मामले देश की राजधानी दिल्ली में देखने को मिले थे. इस साल दिल्ली में 2,760 लोगों ने आत्महत्या कर अपनी जान गवाई थी. इसके बाद चेन्नई का नाम आता है, जहां इस साल 2,699 लोगों ने आत्महत्या कर अपने जीवन का अंत किया. वहीं तीसरे नंबर बेंगलुरु का भी नाम आता है, जहां इस साल 2,292 लोगों ने आत्महत्या कर अपनी जीवन का अंत किया था.
सबसे ज्यादा इन कारणों से आत्महत्या कर रहे है लोग
सवाल ये भी बनता है कि आखिर आत्महत्या करने वाले लोगों में सबसे ज्यादा तनाव/परेशानी किस बात का होता है? तो बता दें कि कुल आत्महत्याओं में 32.4 प्रतिशत लोग पारिवारिक समस्याओं के चलते आत्महत्या कर लेते हैं. तो वहीं बीमारी के कारण 17.1 प्रतिशत लोग आत्महत्या कर अपनी जीवन का अंत किया हैं. और इसमें कई विद्यार्थी भी जिन के वजह पढाई को भी बताया जाता हैं.
निष्कर्ष:
आत्महत्या जीवन के समस्या का समाधान नही बल्कि उस समस्या का डट के सामना करना चाहिए, अगर कोई परेशानी आती है तो उसे अपने परिवार के साथ जरुर डिस्कस करें, और उस समस्या का समाधान करे न की सुसाइड करें.
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