Support for Workers Mental Health: केंद्र ने हाल ही में 26 वर्षीय चार्टर्ड अकाउंटेंट अन्ना सेबास्टियन पेरेयिल की मृत्यु के मामले की जांच का फैसला लिया है। अन्ना की मौत की वजह कथित तौर पर अत्यधिक काम के दबाव को बताया जा रहा है, जो एक गंभीर समस्या बन चुकी है। उनके परिवार ने आरोप लगाया है कि काम का इतना दबाव था कि यह उनके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हुआ। यह मामला तब सुर्खियों में आया जब अन्ना की मां, अनिता ऑगस्टाइन, ने EY इंडिया के प्रमुख को एक भावुक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने अपनी बेटी की मुश्किलों का जिक्र किया। यह पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और इसके बाद से ही इस मामले ने व्यापक ध्यान आकर्षित किया है। इस घटना ने न केवल अन्ना के परिवार को झकझोर दिया है, बल्कि यह भी सवाल खड़ा किया है कि क्या कंपनियाँ अपने कर्मचारियों की भलाई और मानसिक स्वास्थ्य के प्रति गंभीर हैं। इस स्थिति पर प्रतिक्रिया करते हुए, राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने मामले की जांच का आश्वासन दिया और यह सुनिश्चित करने का वादा किया कि न्याय मिलेगा।
सोशल मीडिया पर मचा बवाल
इस घटना ने सोशल मीडिया पर बड़ा विरोध पैदा किया जब पुणे की महिला की मां की एक भावुक लेटर वायरल हुई। इस लेटर में अनिता ऑगस्टाइन ने बताया कि उनकी बेटी अन्ना काम के अत्यधिक दबाव के कारण तनाव में थीं। उन्होंने EY इंडिया के प्रमुख को लिखा कि उनकी बेटी की स्थिति की गंभीरता को समझने की जरूरत है। यह पत्र न केवल अन्ना की कहानी को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि किस तरह से कार्यस्थल की संस्कृति कर्मचारियों पर नकारात्मक असर डाल सकती है। सोशल मीडिया पर लोगों ने इस मुद्दे पर चर्चा की और कई ने कंपनियों को काम के माहौल को बेहतर बनाने की अपील की।
मंत्री का बयान – हम न्याय दिलाएंगे
राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने इस दुखद घटना पर अपनी गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि असुरक्षित और शोषणकारी काम के माहौल के आरोपों की जांच की जा रही है। मंत्री ने कहा, “अन्ना सेबास्टियन पेरेयिल की दुखद मौत से हम बहुत दुखी हैं। हम न्याय सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे हैं।” यह बयान इस बात का संकेत है कि सरकार इस मामले को गंभीरता से ले रही है और यह सुनिश्चित करेगी कि उचित कार्रवाई की जाए। मंत्री का यह आश्वासन अन्ना के परिवार के लिए एक उम्मीद की किरण हो सकता है।
अन्ना पर था काम का भारी दवाव
अन्ना, जो मार्च में EY में शामिल हुई थीं, उन्हें कुछ महीनों में ही काम के दबाव का सामना करना पड़ा। 20 जुलाई को उन्हें पुणे के अस्पताल में भर्ती किया गया, जहां उनका निधन हो गया। जब उन्होंने अपनी थकान और मानसिक तनाव के कारण मदद मांगी, तो यह स्पष्ट हुआ कि काम का दबाव उनकी सेहत पर बुरा असर डाल रहा था। उनके साथियों और परिवार ने बताया कि अन्ना हमेशा से मेहनती और समर्पित थीं, लेकिन अत्यधिक काम की अपेक्षाएँ उनकी क्षमता से बाहर थीं। यह स्थिति हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हम अपने कर्मचारियों की सीमाओं का सम्मान कर रहे हैं।
परिवार का दर्द
अन्ना की मां, अनिता ऑगस्टाइन, ने अपनी चिट्ठी में साफ़ किया कि उनकी बेटी के काम के दबाव ने उनके परिवार की खुशियों को छीन लिया। अनिता ने कहा कि न केवल उनकी बेटी की सेहत पर असर पड़ा, बल्कि इसने उनके परिवार को भी मानसिक और भावनात्मक रूप से तोड़ दिया। अन्ना की मृत्यु ने उनके परिवार को झकझोर दिया है, और अब वे न्याय की उम्मीद में हैं। उन्होंने ये भी कहा कि कोई भी EY का प्रतिनिधि उनकी बेटी के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हुआ, जिससे उनका दुख और भी बढ़ गया।
EY इंडिया का वादा- “बेहतर माहौल बनाने की कोशिश”
EY इंडिया ने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कंपनी सभी कर्मचारियों की भलाई को बहुत महत्व देती है। उन्होंने यह वादा किया कि वे एक स्वस्थ काम का माहौल बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। कंपनी ने कहा, “हम अपने 100,000 कर्मचारियों के लिए काम के माहौल को सुधारने के तरीके खोजते रहेंगे।” यह बयान इस बात का संकेत है कि कंपनी अब अपने कर्मचारियों की सेहत और भलाई के प्रति गंभीरता से विचार कर रही है। इस प्रकार के वादे उम्मीद जगाते हैं कि भविष्य में ऐसी दुखद घटनाएँ दोबारा नहीं होंगी।
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