UP By Election Opinion: गाजियाबाद की विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में इस बार प्रत्याशियों के समक्ष बड़ी चुनौती कम वोटिंग प्रतिशत से निपटने की है सारी इलाके में वोटो की उदासीनता चिंता का विषय है खासकर जब पिछले चुनाव में मतदान का प्रतिशत निराशाजनक रहा है।
गाजियाबाद 56 विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में प्रत्याशियों के लिए इस बार बड़ी चुनौती वोटरों को बूस्ट तक ले जाने की रहेगी गाजियाबाद की इस विधानसभा का सारा क्षेत्र शहरी आबादी में आता है ऐसे में यहां वोटर मतदान को लेकर उदासीन नजर आते हैं गाजियाबाद में हाल में हुए लोकसभा चुनाव में प्रशासन के द्वारा तमाम कोशिशें और इंतजाम के बावजूद वोटिंग परसेंटेज 50% तक भी नहीं पहुंच सका था और महा 49.80% तक सिमट गया था।
गाजियाबाद में 2016 में हुए नगर निगम के उपचुनाव में भी देखा गया था कि वोटरों ने उत्साह न होने से महज 18.54% वोटिंग परसेंटेज रहा था दरअसल उपचुनाव में वोटरों में उत्साह न होने पर इसका असर वोटिंग परसेंटेज पर पड़ता है जो सभी राजनीतिक पार्टियों की प्रत्याशियों के जीत हासिल करने के आंकड़े पर असर डालेगा वही इस बार वोटिंग भी 13 तारीख को होनी है जो बुधवार है इस दिन वर्किंग डे होगा।
वर्किंग डे पर कम हो सकती है वोटिंग।
इस विधानसभा सीट 56 में दिल्ली और पास के ही जिले नोएडा के लिए गाजियाबाद से बहुत बड़ी संख्या में लोग रोजाना काम के लिए निकलते हैं ऐसे में अनुमान है कि इस उप चुनाव में भी वोटिंग परसेंटेज काफी कम रहेगा जो राजनीतिक पार्टियों की चिंताएं बढ़ा रही है क्योंकि काम वोटिंग परसेंटेज उम्मीदवारों के जातिगत समीकरण के आंकड़ों के साथ ही हार या जीत को प्रवाहित कर देगा मुस्लिम और दलित कॉलोनी में वोटिंग परसेंटेज अन्य जगहों से ज्यादा रहता है इसलिए यह सभी पार्टियों की राजनीति पर प्रभाव डालेगा।
गाजियाबाद सीट पर इन उम्मीदवारों के बीच है मुकाबला।
गाजियाबाद में मुख्य चुनावी मुकाबले भारतीय जनता पार्टी के संजीव शर्मा और बहुजन समाज पार्टी के पीएन गर्ग और साथ ही समाजवादी पार्टी के सिंह राज जाटव के बीच माना जा रहा है वही एआईएमआईएम रवि गौतम और आजाद समाज पार्टी के सतपाल चौधरी भी इस चुनाव में अच्छी फाइट दे सकते हैं।
ऐसे में काम वोटिंग परसेंटेज होने के बावजूद यहां वाटर प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के उम्मीदवारों के बीच बटेगा जिससे यहां हर जीत का आंकड़ा ज्यादा अधिक नहीं होगा ऐसे में न केवल प्रमुख विपक्षी पार्टियों समाजवादी पार्टी बहुजन समाज पार्टी के साथ भारतीय जनता पार्टी के लिए भी चुनौती होगा क्योंकि मतदाताओं को जागरुक कर मतदान केंद्र तक लेकर जाए ताकि वोटिंग परसेंटेज यहां बढ़ सके।
यूपी विधानसभा उपचुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की शाख है दांव पर और और उन्होंने इस बार के यूपी विधानसभा उपचुनाव को अपना इमेज वाला चुनाव भी समझ रहे हैं क्योंकि हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी यूपी लोकसभा में कुछ अच्छी करती हुई नजर नहीं आई थी और उन्होंने कई सीटों को गंवा दिया था ऐसा जताया जा रहा है कि इस बार के यूपी उपचुनाव में भी भारतीय जनता पार्टी संभव है कमबैक करती हुई नजर आएगी।