विराट कोहली भारतीय क्रिकेट टीम के सबसे सफल टेस्ट कप्तान रहे हैं, खासकर अगर हम उनके रिकॉर्ड की बात करें। उन्होंने 68 टेस्ट मैचों में भारत की कप्तानी की, जिसमें से 40 मैचों में जीत हासिल की। इस प्रदर्शन के चलते विराट का जीत प्रतिशत सौरव गांगुली और एमएस धोनी जैसे महान कप्तानों से भी बेहतर है।
2022 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज के बाद विराट ने टेस्ट कप्तानी छोड़ दी थी। उस समय भारतीय क्रिकेट में उनके नेतृत्व का सबसे सुनहरा दौर था। उन्होंने न केवल घरेलू मैदानों पर टीम को मजबूत किया, बल्कि विदेशी धरती पर भी टीम इंडिया को एक प्रतिस्पर्धात्मक टीम के रूप में स्थापित किया।
संजय बांगर का बयान: विराट कोहली को जारी रखनी चाहिए थी कप्तानी
पूर्व भारतीय बल्लेबाजी कोच संजय बांगर का मानना है कि विराट कोहली को टेस्ट टीम की कप्तानी अभी जारी रखनी चाहिए थी। बांगर ने एक पॉडकास्ट में कहा, “विराट की मानसिकता हमेशा से टीम को विदेश में अधिक से अधिक जीत दिलाने की थी।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि विराट कोहली का नेतृत्व भारत को घरेलू मैदानों पर जीत का विश्वास तो देता ही था, लेकिन उनकी असली चुनौती और फोकस विदेशों में जीत पर था।
कोहली की मानसिकता: विदेशी पिचों पर जीत का लक्ष्य
विराट कोहली ने अपने करियर के दौरान टीम को विदेशी पिचों पर सफल बनाने पर जोर दिया। भारतीय टीम का घरेलू मैदानों पर रिकॉर्ड इतना अच्छा था कि उन्हें विश्वास था कि 75 प्रतिशत से अधिक मौकों पर भारत घरेलू मैचों में जीत हासिल करेगा। इसी विश्वास के साथ विराट ने अपनी कप्तानी में विदेशों में टेस्ट मैच जीतने की रणनीति तैयार की।
विराट का बल्लेबाजी योगदान
विराट कोहली न केवल एक बेहतरीन कप्तान थे, बल्कि एक असाधारण बल्लेबाज भी रहे। कप्तान के तौर पर उन्होंने 54.80 के औसत से 5,864 रन बनाए, जो कि भारतीय क्रिकेट के लिए एक महत्वपूर्ण योगदान है।
विराट की कप्तानी भारतीय क्रिकेट के लिए स्वर्णिम काल के रूप में देखा जाता है, और संजय बांगर के अनुसार, यह दौर और भी लंबा हो सकता था।
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