तिरुपति बालाजी का वास्तविक नाम श्री वेंकटेश्वर स्वामी है जो स्वयं भगवान विष्णु हैं।
कहा जाता है कि मंदिर भगवान वेंकटेश्वर स्वामी की मूर्ति पर लगे बाल असली हैं।
भगवान वेंकटेश की मूर्ति पर कान लगाकर सुनने पर समुद्र की लहरों की ध्वनि सुनाई देती है।
भगवान बालाजी के मंदिर में एक दीया सदैव जलता रहता है। इस दीए में न ही कभी तेल डाला जाता है और न ही कभी घी।
भगवान की प्रतिमा को प्रतिदिन नीचे धोती और ऊपर साड़ी से सजाया जाता है। मान्यता है कि भगवान के इस रूप में मां लक्ष्मी भी समाहित हैं जिसकी वजह से श्री वेंकेटेश्वर स्वामी को स्त्री और पुरुष दोनों के वस्त्र पहनाने की परम्परा है।
मान्यता है कि बालाजी को गर्मी लगती है कि उनके शरीर पर पसीने की बूंदें देखी जाती हैं और उनकी पीठ भी नम रहती है।
भगवान बालाजी के हृदय पर मां लक्ष्मी विराजमान रहती हैं।
इस मंदिर के कपाट 12 सालों के लिए बंद कर दिए गए थे, क्योंकि एक राजा ने इस मंदिर की दीवार पर 12 लोगों को फांसी दे दी थी, जिसके कारण उस समय भगवान स्वयं प्रकट हुए थे।
यह खूबसूरत मंदिर आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में तिरुमला पर्वत पर मौजूद है और भारत के प्रमुख तीर्थ स्थलों में शामिल है।
तिरुपति बालाजी मंदिर दक्षिण भारत के प्रमुख पर्यटक आकर्षणों में से एक है और सबसे अमीर मंदिरों में से एक है।