What happened on 12 August 1765: इलाहाबाद के संधि मुगल बादशाह शाह आलम II और राबर्ट क्लाइव के बीच 12 अगस्त 1765 में बगसर के लड़ाई (22 अक्टूबर 1764) के परिणाम स्वरूप मुगल बादशाह के संधि में दीवानी अधिकार ईस्ट इंडिया कंपनी(EIC) के सौंप दिया गया। यही संधि के बाद से भारत पर ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन के सुरुआत माना जाने लगा।
इलाहाबाद की संधि 1765 की पृष्ठभूमि
- 1765 ई के इलाहाबाद की संधि 1764 में हुए बक्सर के युद्ध का परिणाम था जो मुगल सम्राट अवध एवं बंगाल के नवाब तथा ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की संयुक्त सेवा के बीच लड़ा गया था ।
- मुगलों अवध एवं अमीर कासिम से संबंधित 40000 के एक संयुक्त सी को 10000 सैनिकों से गठित ब्रिटिश सी ने बड़ी बेरा में से पराजित कर दिया था ।
- 22 अक्टूबर 1764 को भारतीय पक्ष युद्ध में पराजित हो गए थे ।
- आमिर कासिम युद्ध से पलायन कर गया और दो अन्य अंग्रेजों ने सेवा के समक्ष आत्म समर्पण कर दिए थे ।ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने मुगल बादशाह एवं अवध के नवाब को 1765 में इलाहाबाद का अपमानजनक संधि के लिए मजबूर कर दिया ।
इलाहाबाद की संधि 1765 के कुछ प्रमुख बिंदु :
- 1764 में हुए बक्सर के युद्ध में विजय के बाद रोबर्ट क्लाइव ने दो पृथक पृथक संधियों पर एक सुझाव उद दौला के साथ तथा दूसरी शाह आलम द्वितीय मुगल सम्राट के साथ 1765 में इलाहाबाद की संधि के लिए हस्ताक्षर किए ।
- 12 अगस्त 1765 को अंग्रेजों ने मुगल सम्राट शाह आलम द्वितीय को इलाहाबाद की संधि पर हस्त केशर करने के लिए वाद्य किया हुआ था मुगल सम्राट ने बंगाल बिहार और उड़ीसा से अंग्रेजों के पक्ष में कर एकत्रित करने के अधिकार को त्याग दिया था ।
इलाहाबाद की संधि के कुछ मुख्य श्रोतों के बारें में :
इलाहाबाद की संधि 1765 अवध एवं के नवाब और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच :
- इलाहाबाद का समर्पण
- युद्ध क्षतिपूर्ति खंड
- नवाब की पूरी संपत्ति को छीनना
इलाहाबाद की संधि 1765 में मुगल सम्राट और ब्रिटिश ईस्ट का ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच की संधि :
कंपनी ने शाह आलम द्वितीय को दिल्ली छोड़ने के लिए मजबूर किया और ईस्ट इंडिया कंपनी के संरक्षण में इलाहाबाद में रहने हेतु दिवस किया ।
दीवानी अधिकार प्रदान किए गए : कंपनी ने सम्राट को 26 लख रुपए की वार्षिक भुगतान के बदले ईस्ट इंडिया कंपनी को बिहार बंगाल और उड़ीसा के दीवाने प्रदान करने हेतु एक फरमान भी जारी करने के लिए मजबूर किया था ।
निजामत कार्य : कंपनी ने मुगल सम्राट से बिहार बंगाल और उड़ीसा प्रति के निजामत कार्य जैसे सैया रक्षा पुलिस एवं न्याय प्रशासन के बदले में 53 लख रुपए की राशि वसूली थी ।
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