Umar khalid, जो जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र हैं, पिछले चार वर्षों से दिल्ली दंगों के आरोप में जेल में बंद हैं। उन्हें सितंबर 2020 में गिरफ्तार किया गया था और उन पर नफरत फैलाने, देशविरोधी गतिविधियों में शामिल होने, और जेएनयू में आतंकी अफजल गुरु के समर्थन में भारत विरोधी नारे लगाने के आरोप लगाए गए हैं। दिल्ली पुलिस ने उन्हें उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 2020 में हुए दंगों के मुख्य साजिशकर्ता के रूप में नामित किया था।
उमर खालिद पर लगे आरोप:
- दिल्ली दंगे: उमर खालिद पर 2020 के दिल्ली दंगों में मुख्य साजिशकर्ता होने का आरोप है।
- CAA विरोधी प्रदर्शन: उमर खालिद नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ प्रदर्शन का प्रमुख चेहरा थे।
- अन्य मामले: उनके खिलाफ भारत विरोधी बयान देने और कश्मीर की आजादी की मांग को लेकर कई अन्य केस भी चल रहे हैं।
कानूनी स्थिति:
उमर खालिद को अब तक जमानत नहीं मिली है, हालांकि, उन्हें अपनी बहन की शादी में शामिल होने के लिए एक हफ्ते की सशर्त जमानत दी गई थी। उमर के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने 40 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की थी, जिसमें उन्हें आपराधिक साजिश रचने का आरोपी बताया गया था। खालिद ने कई बार जमानत के लिए अर्जी दी है, लेकिन हर बार कोर्ट ने उनकी अर्जी खारिज कर दी है।
UAPA के तहत आरोप:
उमर खालिद पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) लगाया गया है। UAPA के तहत लगे आरोपों के चलते जमानत मिलना और भी मुश्किल हो जाता है, क्योंकि इस कानून के तहत जमानत के लिए अपराध की गंभीरता और उसके प्रभाव को मुख्य आधार माना जाता है। उमर ने UAPA के प्रावधानों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, लेकिन वह याचिका फिलहाल लंबित है।
सुप्रीम कोर्ट का दृष्टिकोण:
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि केवल मुकदमे में देरी जमानत का आधार नहीं हो सकती, विशेषकर गंभीर अपराधों में। उमर खालिद की जमानत पर अंतिम निर्णय उनके खिलाफ लगे आरोपों की गंभीरता और UAPA के तहत अपराध की परिभाषा पर निर्भर करेगा।