Bajrang Punia Enter Haryana Election: भारत के स्टार रेसलर बजरंग पूनिया की राजनीति में एंट्री को हरियाणा चुनाव में काफी अहम माना जा रहा है लेकिन सवाल यह है कि बजरंग के राजनीति में जाने पर उनके गांव खुड्डन के लोग और खास कर वहां के पहलवान क्या राय रखते हैं।
विधानसभा चुनाव के 10 पहले हरियाणा की राजनीति में मशहूर पहलवान बजरंग पूनिया की नाटक की इंटरव्यू कब से हर जगह उनके अखिल भारतीय किसान कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष बनने की चर्चा है लेकिन यह तो हुई उन लोगों की बात जो दूर से बजरंग पूनिया को जानते हैं पर उन लोगों का क्या है जो उन्हें हमेशा से देखते आए हैं उनके पॉलिटिक्स में आने के फैसलों को गांव के लोग और साथी पहलवान किसी नजर से देखते हैं आईए जानते हैं ।
ओलंपिक मेडलिस्ट भारतीय पहलवान बजरंग पुनिया इन दिनों सुर्खियों में है 30 साल के बजरंग पूनिया ने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की है अब वह राजनीति क्या अखाड़े में अपनी किस्मत आजमाएंगे उन्होंने इसके लिए रेलवे की नौकरी तक छोड़ दी है।
जिस तरह से सियासी गलियारों में बजरंग के नाम की चर्चा है या इससे पहले तो उनका करियर रहा कोई भी सोच सकता है कि उनके गांव की सूरत भी शानदार होगी लेकिन ऐसा है नहीं गुड्डन गांव की सड़क बारिश से बादल दिखाई जगह-जगह पानी भरा हुआ रहता है वहीं बजरंग का वह घर भी है जहां उनके अपना बचपन भी था अभी वहां किराएदार रह रहे हैं बताया कि अब भी बजरंग पुनिया गांव आते हैं तो इसी घर में रखते हैं।।
छोटे से गांव से निकाल कर कैसे स्टार बने बजरंग पूनिया।
मां 5 6 साल की उम्र में बजरंग पूनिया ने पहलवानी के दम पर सीखने शुरू कर दिए थे बारिश को याद हो या ठंड किसी भी मौसम का उनकी प्रैक्टिस पर कोई असर नहीं पड़ता था उनके सिर पर बस रेसलिंग का जुनून था बजरंग पूनिया के दादा और पिता भी पहलवान रहे हैं लेकिन घर के हालात ऐसे नहीं थे कि बजरंग पूनिया के पहलवान वाले खान-पान का खर्च उठाया जा सके।
इसी गांव की रहने वाली सरिता ने बताया है की बचपन से बजरंग पूनिया को देखते आई है बकलोल सरिता उसे वक्त उनके मां-बाप ने एक ऐसी बात कही हमारे पास पैसे तो नहीं है लेकिन एक भैंस जरूर है हम उसे मुझे दूध घी की कमी महसूस नहीं होने देंगे तो इस तरह से चूरमा की दूध दही की डाइट से बजरंग पूनिया ने अपनी पहलवानी जारी रखी।
बजरंग की राजनीति में एंट्री पर क्या सोचते हैं गांव के लोग।
बजरंग पूनिया के गांव के लोग बड़े पैमाने पर पहलवानों की भरमार है जिनमें पिंटू पहलवान नरेंद्र पहलवान जय श्री पहलवान और समुद्र पहलवान जैसे नाम शामिल है लेकिन इनमें से कोई एक्टिव पॉलिटिक्स में नहीं गया है बल्कि खेल से ही अपनी पहचान बनाई रखी है।
बजरंग ने कमाया नाम पर नहीं बदली खुड्डन की सूरत।
कुश्ती में ऊंचाइयां हासिल करने के बाद बजरंग पूनिया के गांव में रेसलिंग की सुविधाओं को लेकर कोई बदलाव आया नहीं है इस पर मिंटू पहलवान का कहना है कि सरकार की तरफ से स्टेडियम बनवाने कारण हुआ था लेकिन अब तक कुछ नहीं बन पाया गांव में पहले भी अच्छे पहलवान हुए हैं लेकिन बजरंग की ही स्टार बन सका।