Delhi HC Reduced 5 Terrorists Punishment: हाईकोर्ट ने “5 आतंकवादियों” की सजा को घटाया।

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Delhi HC Reduced 5 Terrorists Punishment:

ट्रायल कोर्ट से दी गई जैश -ए-मोहम्मद के पाँचो आतंकवादियों की आजीवन कारावास की सजा को दिल्ली हाईकोर्ट ने कम कर के केवल दस वर्ष का कर दिया है। जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस मनोज जैन की खंडपीठ ने कहा है कि- सभी आरोपियों की उम्र कम है साथ ही उनके ऊपर और कोई भी या किसी भी प्रकार के अपराध के लिए दोषी नहीं ठहराया गया है। यह देखते हुए ट्रायल कोर्ट को उन्हें सुधारने का मौका देना चाहिए था। और कहा कि- इस केस में न्याय का उद्देश्य तभी पूरा होगा जब सजा को आजीवन कारावास से घटाकर दस वर्ष कर दिया जाए

ट्रायल कोर्ट से दी गई जैश -ए-मोहम्मद के पाँचो आतंकवादियों की आजीवन कारावास की सजा को दिल्ली हाईकोर्ट ने कम कर के केवल दस वर्ष का कर दिया है। दिल्ली हाईकोर्ट ने यह फैसला सुनाते वक्त कहा है कि- ट्रायल कोर्ट ने आरोपियों के आरोपों की विशालता को देखते हुए पहले ही जजमेंट में दोषी ठहराया था। साथ ही कोर्ट ने इस बात पर भी गौर नही किया कि- सभी आरोपी पहले से ही पछतावे में थे।

Delhi HC Reduced 5 Terrorists Punishment
Delhi HC Reduced 5 Terrorists Punishment

जस्टिस की खंडपीठ ने कहा

आपको बता दे कि- जैश -ए-मोहम्मद के पाँचो आतंकवादियों की आजीवन कारावास की सजा को जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस मनोज जैन की खंडपीठ ने कम किया है।

इसके साथ ही खंडपीठ ने कहा है कि- सभी आरोपियों की उम्र कम है साथ ही उनके ऊपर और कोई भी या किसी भी प्रकार के अपराध के लिए दोषी नहीं ठहराया गया है। यह देखते हुए ट्रायल कोर्ट को उन्हें सुधारने का मौका देना चाहिए था। जैसा कि अपने फैसले में ट्रायल कोर्ट ने भी उल्लेख किया है। साथ ही हाई कोर्ट के खंडपीठ ने कहा कि- इसलिए यह एक ठीक केस है जहाँ आईपीसी की धारा 121ए और धारा 23 यूएपीए के तौर पर दी गई सजा को कम करने की जरूरत है।

कौन-से कैंदियों मिली थी सजा?

जैश -ए-मोहम्मद के पाँचो आतंकवादी, जिन्हें ट्रायल कोर्ट से धारा 121ए और धारा 23 के तरह आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। वह पाँचो दोषी का नाम- इशफाक अहमद भट, सज्जाद अहमद खान, बिलाल अहमद मीर, मेहराज उद दीन चौपाल और मुजफ्फर अहमद भट है। इनकी सजा को दिल्ली उच्च न्यायालय ने कम कर दिया है।

आपको यह भी बता दे कि- धारा 121ए और धारा 23 तब सुनाई जाती है जब कोई भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने का षंड़यंत्र रच रहा हो या कोशिश कर रहा हो।

कोर्ट में रूसी उपन्यासकार की कोट

पीठ ने दोषियों की सजा को कम करते हुए एक रूसी उपन्यासकार फ्योडोर दोस्तोवस्की की लिखी उपन्यास क्राइम एंड पनिशमेंट के कुछ लाईनों को कोट किया और कहा कि- जिस मनुष्य के पास विवेक वह अपने दोषो को मानकर कष्ट को सहता है। वही उसकी जेल में सजा होगी।

न्याय का उद्येश्य

जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस मनोज जैन की खंडपीठ ने अंत में कहा कि- इस केस में न्याय का उद्देश्य तभी पूरा होगा जब सजा को आजीवन कारावास से घटाकर दस वर्ष कर दिया जाए।

पीठ ने इस संशोधन के साथ सभी अपीलों का फैसला सुनाते हुए दोषियो को 2000 रुपये का जुर्माना और दस साल का कठोर कारावास की सजा दी हैं।

 

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