Delhi News: टूटकर गिरे पत्तों को जमा कर निगम बना रही है उत्तम गुणवत्ता की जैविक खाद्य, दिल्ली के बगीचों-बागनों और पार्कों को हरा भरा करने के लिए भी उपयोग करेगा। दिल्ली के सभी 12 जोनो में बनाई जा रही है, जैविक खाद्य लागत 5 रुपये प्रति किलो पड़ती है।
आए दिन हमें सड़क पर पार्किंग में खड़ी कार पर पेड़ो से टूटकर गिरे पत्ते देखने को मिलते है और पतझड़ में तो यह सिलसिला कुछ ज्यादा ही बढ़ जाता है, लेकिन हम इसे अनदेखा कर चल देते है क्योंकि हमें यह नहीं पता होता कि इन गिरे हुए पत्तों से तैयार हुआ प्रोडेक्ट की कीमत इतनी होती है की उसे काला सोना भी कहा जाता है।
अब यही काला सोना दिल्ली नगर निगम का उद्यान विभाग बनाने जा रहा है जिसकी कीमत बाजारों में लाखों की हो सकती है। असल में इन टूटकर गिरे पत्तों से बहुत ही उत्तम गुणवत्ता की खाद्य बनती है जिसे जैविक खाद्य कहा जाता है इसकी गुणवत्ता के कारण इसका मूल्य भी आम खाद्य से कई ज्यादा होता है।
अब इसी को बनाने के लिए दिल्ली नगर निगम के कर्मचारियों ने करीब 285 क्विंटल पत्ते जमा किये हैं, जिससे करीब 350 क्विंटल का उत्तम खाद्य तैयार होगी। जिसका इस्तेमाल दिल्ली के बगीचों, बागनों और पार्कों को हरा भरा करने के लिए भी निगम उपयोग करेगा। यही नहीं जो लोग होम गार्डनिंग करना पसंद करते है वो लोग भी इस खद्य को खरीद सकेगे।
कहा बनाई जा रही है यह खाद्य?
आपको यह जानकर बहुत आश्चर्य होगा की अब तक निगम ने केवल पार्को से निकली घास, पत्तियों और छोटी टहनियों से ही हर महीने भारी मात्रा में खाद्य तैयार किया है। यह काम दिल्ली के सभी 12 जोन के साथ-साथ पार्कों में भी हो रहा है।
निगम ने अभी तक पूर्वी दिल्ली के 10 से ज्यादा बगीचों में जैविक खाद्य तैयार किया है। जिसका इस्तेमाल नए पौधे के उपज में भी किया जा रहा है। यही काम उत्तरी और दक्षिणी दिल्ली में भी भारी संख्या में दिया जा रहा है। साथ ही इस कार्य को और बढ़ाने के लिए हाल ही में 5 नए कंपोस्टर को मान्यता दी गई है।
खाद्य की कीमत वं खर्च
आप यह बात जानकर हैरान रह जाएँगे कि इस जैविक खाद्य को बनाना बहुत की सरल है और इसकी लागत भी ना के बराबर होती है इसी कारण निगम इसे हर महीने सैकड़ों क्विंटल की तादात में तैयार कर रहा हैं। आपको बता दें कि उत्तम गुणवत्ता की खाद्य बनने के लिए पत्तों को हल्का गोबर-पानी के मिश्रण के साथ 500 ग्राम केमिकल मिलाकर बनाया जाता है।
इसी कारण उद्यान विभाग की योजना है कि इस बार पतझड़ ऋतु में गिरे पत्तों से करीब 350 क्विंटल की जैविक खाद्य को तैयार करेगे। निगम की ओर से तय किया गया खर्च करीब 1,75,000 रुपये होगा, एमसीडी को करीब 5 रुपये प्रति किलो के मूल्य पर यह जैविक खाद्य की लागत पड़ती है। जबकि तैयार होने के बाद इसकी कीमत बाजार में 35-40 रुपये प्रति किलो होगी।