Ed Reaction On Kejriwal Bail:
अंतरिम जमानत पर बाहर आए दिल्ली के वर्तमान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ आम आदमी पार्टी को भी जल्द ही शराब नीति घोटाला मामले में आरोपी बनाएगी। सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ के सामने बताया कि आरोपपत्र दायर करने के लिए इसपर काम चल रहा है। साथ ही इस मामले में 100 करोड़ रुपये की रिश्वत माँगने और उस रिश्वत को गोवा के विधानसभा चुनाव इस्तेमाल करने का आरोप भी लगाया कहा एजेंसी के पास काफी सबूत हैं। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को कहा कि- अदालत रिमांड के दौरान संक्षिप्त सुनवाई नहीं कर सकती है और ना ही जाँच कर रहे किसी अधिकारी के पास उपलब्ध सामग्री या सबूतों की जाँच नहीं कर सकती है।
चुनाव के लिए जेल से अंतरिम जमानत पर बाहर आए आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के वर्तमान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी जल्द ही शराब नीति घोटाला मामले में आरोपी बनाएगी। यह बात ईडी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है। साथ ही यह भी बताया है कि इस मामले में केजरीवाल के साथ-साथ आम आदमी पार्टी यानी आप को भी जल्द ही इस मामले में आरोपी बनाएगी।
ईडी की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ के सामने बताया है। उन्होंने कहा है कि ईडी जल्द ही अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के खिलाफ आरोपपत्र दायर करेगे। इसपर अभी काम चल रहा है और यह अभी प्रक्रिया में हैं।
इसके साथ ही एसवी राजू ने आगे बताया कि- केजरीवाल ने दिल्ली शराब नीति घोटाला मामले में 100 करोड़ रुपये की रिश्वत माँगी थी और इस रिश्वत का इस्तेमाल आप ने गोवा के विधानसभा चुनाव अभियान में किया। जाँच एजेंसी के पास यह दिखाने के लिए काफी सबूत हैं।
आपको बता दे कि यह बयान सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली शराब नीति घोटाला मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में केजरीवाल की गिरफ्तारी को दी गई चुनौती पर सुनवाई के दौरान ईडी के तरफ से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कही।
केजरीवाल पर लगाए आरोप
ईडी के तरफ से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली शराब नीति घोटाला मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस को लेकर कहा कि- उनके पास अरविंद केजरीवाल के खिलाफ सबूत हैं कि वह सात सितारा होटल में रुके थे। जिसका अधूरे हिसाब का भुगतान इस केस से जुड़े एक आरोपी ने किया था।
साथ ही आगे सुप्रीम कोर्ट में कहा कि- दिल्ली में खत्म हो चुकी शराब नीति को तैयार करने में केजरीवाल ने अहम भूमिका निभाई थी। साथ ही केजरीवाल आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक होने के नाते भी अप्रत्यक्ष रूप से इस घोटाले के जिम्मेदार है। केजरीवाल के पास दिल्ली के मुख्यमंत्री होने के बाद भी कोई विभाग नहीं है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता
ईडी की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में दी गई याचिका की महत्वपूर्णता पर प्रश्न किया। साथ ही केजरीवाल के न्यायिक हिरासत को लेकर कहा कि- पहले केजरीवाल ने 2 बार रिमांड आदेशों का विरोध किया था। लेकिन बाद में वस्तुतः न्यायिक हिरासत के लिए मान गए।
अदालत रिमांड के दौरान संक्षिप्त सुनवाई नहीं कर सकती है और ना ही जाँच कर रहे किसी अधिकारी के पास उपलब्ध सामग्री या सबूतों की जाँच नहीं कर सकती है। न्यायलय केवल ये देख सकती है कि गिरफ्तार करने के लिए कोई सबूत है या नहीं। आबकारी नीति मामले में सभी सबूतों को ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट ने देखा है। हाईकोर्ट ने केस की फाइलो की डिमांड और सामग्री की जाँच पड़ताल की थी।
मेहता ने आगे सुप्रीम कोर्ट में कहा कि-रिमांड के दौरान अगर अदालत हस्तक्षेप करना शुरू कर देती है यह सीआरपीसी की निर्धारित प्रक्रिया का पालन किये बिना शीर्ष अदालत अपना द्वार खोल देगी।
पीएमएलए की धारा 19 के तहत जो ईडी अधिकारी के पास गिरफ्तारी की शक्तियों से संबंधित है। उनमें कुछ अंतर्निहित सुरक्षा उपाय है। गिरफ्तारी को लेकर नियम जितना अधिक कठोर होगा, उतना ही कोर्ट की समीक्षा कम होगी।
कोर्ट धारा 19 की शर्तों के उल्लंघन पर हस्तक्षेप कर सकती हैं।
मेहता ने अपनी दलील कोर्ट को सुनाई। लेकिन जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने दलील से असमहती दिखाते हुए कहा कि- “अगर धारा 19 की शर्तों का उल्लंघन होता है तो अदालतें हस्तक्षेप कर सकती हैं।” “अनुच्छेद 32 के तहत सीधे सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की जा सकती हैं।” साथ ही पीठ ने सवाल किया कि- कोर्ट ने गिरफ्तारी को रद्द कर दिया है या जमानत दे दी है? और आगे कहा कि- हाँ, उपाय खारिज नहीं किया जा सकता है। रिमांड कोर्ट या हाईकोर्ट आमतौर पर इन बातो पर गौर करते हैं। ऐसा नहीं है कि अदालत पास अधिकार नहीं है। आम तौर पर अदालत न्यायिक संयम का पालन करते हैं। क्योंकि और वैकल्पिक उपाय मौजूद हैं। लेकिन कोर्ट किसी गंभीर मामला को नजरअंदाज नहीं कर सकती है।
सुनवाई दौरान पीठ ने जताया आश्चर्य
यह बात पर सुनवाई दिनभर चली। इस दौरान केजरीवाल को गिरफ्तार करने के लिए अपनाई गई प्रक्रिया पर पीठ ने आश्चर्य जताते हुए ईडी से पूछताछ की कि- जाँच अधिकारी गिरफ्तार करते वक्त केजरीवाल के पक्ष में निर्दोष होने से संबंधित सामग्रियों को कैसे नजरअंदाज कर सकते हैं?