Electoral Bond Scheme: इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए राजनीतिक दलों, कॉरपोरेट कंपनी और अधिकारियों के बीच कथित लेनदेन को लेकर विशेष जांच दल (SIT) से जांच कराने को लेकर दायर याचिका पर 22 जुलाई को सुनवाई होने वाली हैं. याचिका में चुनावी बॉन्ड योजना की अदालत की निगरानी में SIT के जरिए जांच का अनुरोध भी किया गया है.
याचिकाओं में दावा किया गया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जारी किए गए इलेक्टोरल बॉन्ड के डेटा से पता चलता है कि ज्यादातर कॉरपोरेट ने राजनीतिक दलों को राजकोषीय लाभ के लिए या केंद्रीय जांच एजेंसियों की कार्रवाई से बचने के लिए चंदा दिया हुआ था.
याचिका में क्या कहा गया है?
याचिका में ये भी कहा गया, ”डेटा से सामने आया है कि प्राइवेट कंपनी ने केंद्रीय जांच एजेंसी की कार्रवाई से बचने के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड जरिये पैसा दिया है. कई मामलो में देखा गया है कि केंद्र और राज्यों में सत्ताधारी दलों ने नीति और कानून में बदलाव प्राइवेट कॉरपोरेट को ही लाभ देने के लिए किए हैं.’
दरअसल बात ये भी हैं कि, सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को असंवैधानिक करार दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने इस पर क्या कहा था?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राजनीतिक दलों के इस तरह के योगदान को गुमनाम करके इलेक्टोरल बॉन्ड योजना संविधान के अनुच्छेद 19(1)(A) के तहत प्रदत्त मतदाता की सूचना के अधिकार का उल्लंघन करता है.
कोर्ट ने कहा था कि चुनावी प्रक्रिया में काले धन पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से मतदाताओं के सूचना के अधिकार के उल्लंघन को उचित नहीं ठहराया जा सकता है.
अपडेट अभी जारी …
PIL seeking court-monitored probe into electoral bonds scheme is listed for hearing on July 22: SC
— Press Trust of India (@PTI_News) July 19, 2024
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