India At Paralympics vs Olympics: आखिर भारत का पैरालंपिक में प्रदर्शन की शानदार हुआ है क्यों की भारत लगातार इन पैरालंपिक गेम्स में लगातार शानदार प्रदर्शन कर रहा है. इसकी वजह क्या है हम आपको विस्तार से बताते हैं।
भारत ने पेरिस पैरालंपिक में अब तक 27 मेडल हासिल कर धूम मचा दी है जिसमें टोक्यो पैरालंपिक 2020 के 19 मेडल का आंकड़ा पीछे छूट चुका है पेरिस पैरालंपिक में पद को की संख्या इसलिए भी चौंकाने वाली है क्योंकि लंदन पैरालंपिक 2022 में भारत के खाते में महान एक मेडल दिखा था इसके बाद रिया 2016 में चार पदक ही आए दूसरी तरफ ओलंपिक की बात की जाए तो खेलों के इस महाकुंभ के किसी एक सीजन में भारत ने अभी 27 मेडल 2020 टोक्यो में जीता था जबकि इस बार पेरिस पैरालंपिक में मेडलो की बरसात हुई है पैरालंपिक शारीरिक बौद्धिक या दृष्टि दोष वाले एथलीट के लिए यह प्रतियोगिता है।
पैरालंपिक में मेडल में जोरदार उछाल की बड़ी वजह इसमें शामिल होने वाले खिलाड़ियों की बढ़ती संख्या है पिछले कुछ पैरालंपिक की बात करें तो यह रिया में भारत की 19 खिलाड़ी ने हिस्सा लिया था और दो गोल्ड मेडल समेत कुल चार पदक जीते. इसके बाद टोक्यो पैरालंपिक में भारत के 54 पर एथलीट्स खेलने उतरे जिसमें भारत में पांच गोल्ड मेडल समेत 19 पदक अपने नाम की और अब पेरिस पैरालंपिक में भारत की संख्या बढ़कर 84 हो गई है जाहिर है खिलाड़ी बड़े तो मेडल भी इजाफा होगा भारत 6 सितंबर तक 6 गोल्ड समेत अब तक कुल 27 मेडल जीत चुका है।
पैरालंपिक में वेतन प्रदर्शन के प्रमुख कारण।
पैरा स्पोर्ट्स पर अधिक ध्यान और निवेश।
हल्की वर्षों में भारत सरकार और पैरा ओलंपिक समिति ने पैरा एथलीट की पहचान प्रशिक्षण और सपोर्ट के लिए ठोस कदम उठाए हैं इसमें विशेष रूप से पैरा खिलाड़ियो के लिए बड़ी हुई फंडिंग कोचिंग संस्था और साथ ही बुनियादी ढांचा इसमें शामिल है पेरिस पैरालंपिक के लिए 74 करोड रुपए आवंटित किए गए हैं और जबकि टोक्यो पैरालंपिक के लिए 26 करोड रुपए ही थे।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कम प्रतिस्पर्धा।
ओलंपिक की तुलना में पैरालंपिक में भाग लेने वाले खिलाड़ियों का समूह काफी छोटा होता है विशेष कर उन स्पर्धा में जहां भारत अच्छा और उत्कृष्ट प्रदर्शन करता है जैसे पहले एथलेटिक्स में. इससे भारतीय अतिथियों के लिए क्वालीफाई करना और पदक जीतना अपेक्षाकृत आसान हो जाता है और खेल मंत्रालय के दखल के बाद पैरालंपिक में खेलों की भागीदारी बड़ी है ट्रेनर और सुपोर्ट स्टाफ भी बने हैं।
पैरा एथलीट की लगन और दृढ़ता।
कई भारतीय पैरा ओलंपिक एथलीटन ने अपने खेल के शीर्ष पर पहुंचने के लिए महत्वपूर्ण शारीरिक आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों को पार किया है यह लगन आदरणीय संकल्प उत्कृष्ट प्रदर्शन की ओर ले जा रहा है इसको एक उदाहरण से समझ सकते हैं भारत की पहली महिला पैरालंपिक मेडलिस्ट दीपा मलिक ने 2016 में 46 साल की उम्र में मेडल जीताजब तब उनकी जीत को जादू कहा गया लेकिन इसके पीछे यह बात समझनी होगी कि दीपा की मेहनत और लगन के साथ उनको एक कंडीशनिंग कोच ट्रेनर सपोर्ट स्टाफ जैसे लोग उपलब्ध कराए गए उनको ट्रांसपोर्ट जैसी सुविधा भी सुलभ करवाई गई।
और भी कई ऐसे कारण है जिसके वजह से ओलंपिक में पैरा ओलिंपिक खिलाड़ियों का दबदबा जारी है।
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