Narendra Modi News: चुनावी नतीजों के सामने आने के बाद एक बार फिर यह साफ हो गया है कि इस बार भी देश में एनडीए की सरकार बनने जा रही है। इसका साफ मतलब यह है कि तीसरी बार भी नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री की शपथ लेने जा रहे है। लेकिन इस बार जो भाजपा ने 400 पार का नारा दिया था, वो आंकड़े को छूने में असफल रही है।
जिसका सीधा मतलब यह है कि भाजपा टीडीपी और जेडीयू के साथ मिलकर सरकार चलाएगी। जबकि वर्ष 2002 से लेकर अब तक ऐसा नहीं हुआ की मोदी के नेतृत्व भाजपा को बहुमत नही मिला हो। चाहे मोदी सीएम पद के उम्मीदवार हो या पीएम पद के।
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4 जून को चुनावी नतीजों के सामने आने के बाद एक बार फिर यह साफ हो गया है कि इस बार भी देश में एनडीए की सरकार बनने जा रही है। इसका साफ मतलब यह है कि तीसरी बार भी नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री की शपथ लेने जा रहे है। लेकिन वर्ष 2014 और 2019 की तरह इस बार भाजपा अकेले पूर्ण बहुमत नहीं जुटा पाई है।
इस बार जो भाजपा ने 400 पार का नारा दिया था, वो आंकड़े को छूने में असफल रही है। जिसका सीधा मतलब यह है कि भाजपा को पिछले 2 बार की तरह अकेले नहीं बल्कि टीडीपी और जेडीयू के साथ मिलकर सरकार चलानी होगी।
नहीं मिला बहुमत
इस बार नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री की शपथ तो लेंगे लेकिन सबसे हैरानी की बात है कि मोदी के नेतृत्व के बाद भी भाजपा को पूर्ण बहुमत नही मिला। जबकि वर्ष 2002 से लेकर अब तक ऐसा नहीं हुआ कि मोदी के नेतृत्व में भाजपा को बहुमत नहीं मिला हो। चाहे मोदी सीएम पद के उम्मीदवार हो या पीएम पद के। साल 2002 से साल 2019 तक हर चुनाव में मोदी मैजिक चला है।
साल 2002, 2007 और 2012 में इन्हीं के नेतृत्व में गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत प्राप्त हुई। साल 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भी देश में भाजपा ने अपनी सरकार बनाई।
यह पहली बार है जब भाजपा मोदी के नेतृत्व के दम पर बहुमत का आंकड़ा छूने में असफल रही है।
बात अगर पिछले लोकसभा चुनाव की करें तो 2014 में भाजपा को 282 सीटें और 2019 में 303 सीटें मिली थी। लेकिन इस चुनाव में भाजपा 240 सीटें ही प्राप्त कर सकी।
मोदी की सफलता
अगर नरेंद्र मोदी के राजनीतिक जीवन की बात करें तो पिछले 23 सालों से नरेंद्र मोदी ने सत्ता पर कब्जा कर रखा हैं। पहले गुजरात में सीएम के रूप में मोदी का व्यक्तिगत एक अपराजेय नेता के तौर पर रहे है। फिर साल 2019 तक पीएम के तौर पर भी एक अपराजेय नेता रहे है।
मोदी को अब तक किसी भी हार का सामना नहीं करना पड़ा वाराणसी से तीसरी बार भी वो सांसद चुनकर आए हैं।
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