Non-Veg is illegal Here: गुजरात के गुजरात के भावनगर जिले का पालिताना शहर अब तक का ऐसा पहला ऐसा शहर बन गया है जहां मसाहार पूरी तरह से खाना बैन कर दिया गया है। यहाँ मांसाहार पर पूरी तरह से प्रतिबंध है।
क्या है पूरी कहानी?
ये बड़ा बदलाव तब आया जब लगभग 200 जैन साधुओं ने विरोध प्रदर्शन किया जिसके बाद लगभग 250 बूचड़खाने बंद हुए। राजकोट ऑर्डिनेंस ने मसाहार परोसने पर बैन लगा दिया और सार्वजनिक स्थानों पर भी मांस पर रोक लगा दी। इसके बादये नियम अलग अलग जगहों पर जैसे वडोदरा, जूनागढ़ और अहमदाबाद में भी लागू किया गया।
गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की मानें तो, इन कानूनों का एक बड़ा फायदा यह हुआ कि ट्रैफिक जाम में कमी दर्ज की गई।
हिस्टोरिक और कल्चरल कॉन्टेक्स्ट क्या है
गुजरात की सांस्कृतिक धरोहर में शाखा हर की एक अलग ही जगह है। साथ ही धर्म की भी एक अलग जगह है। महात्मा गांधी, जो शाकाहार को बढ़ावा देते थे, उनके आंदोलन का भी बड़ा असर रहा है। गांधीजी ने इंग्लैंड में पढ़ाई के दौरान अपनी मां से वादा किया था कि वे शाकाहार ही रहेंगे। गुजरात में वैष्णव हिंदू संस्कृति का बड़ा प्रभाव है, जो पूरी तरह से शाकाहार का पालन करती है।
क्या है वर्तमान स्थिति और जनसंख्या
गुजरात की जनसंख्या में लगभग 88 प्रतिशत हिंदू हैं, 1% जैन तो वही 10% मुस्लिम और ईसाई दोनो शामिल हैं। यहाँ की वैष्णव हिंदू संस्कृति का शाकाहार पर खासा प्रभाव है, जो खाने की आदतों को प्रभावित करता है।
इसका परिणाम क्या रहा
पालिताना का यह मजबूत कदम गुजरात की धार्मिक और सांस्कृतिक पूंजी को भली भांति तरीके से दिखाता है। सर्वाधूनिक कानून और गांधी बापू जैसी ऐतिहासिक बड़ी शख्सियतों का प्रभाव यहाँ के खानपान पर साफ दिखाई देता है। पालिताना का मसाहार पर प्रतिबंध लगाना इन परंपराओं के नक्शे कदम पर चलना है। और ये अलग अलग क्षेत्रों और शहरों के लिए भी एक मॉडल पेश करता है।
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