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Partition Horrors Remembrance Day: विभाजन भयावह स्मृति दिवस क्या है? और क्या है इस दिन का महत्व… जाने यहां।

Partition Horrors Remembrance Day: इस साल हमारा देश 78वा आज़ादी महोत्सव मनाएगा। वहीं वर्ष ग़ाठ की बात की जाए तो इस साल 77 साल पूरे होंगे। लेकिन 15 अगस्त से ठीक एक दिन पहले विभाजन भयावह स्मृति दिवस मनाया जाता है। क्योंकि आजादी से हमारा देश तो आजाद हुआ लेकिन 14 अगस्त वह दिन था जब आजादी के साथ साथ इतिहास में हुए दर्दनाक हादसे को याद करने का दिन है जब लोगों के घर, मकान, जान सब कुछ चला गया। जो भी कुर्बान हुए उन लोगों को याद करते हुए, उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस 14 अगस्त को मनाया जाता है

ये दिन क्यों है खास?

इतिहास की दृष्टि से आज का दिन बेहद महत्वपूर्ण है। क्योंकि यह इतिहास में हुए विभाजन के चलते हुए पलायन, हिंसा, और उसे भयावह दौर को याद कर इस तरह की भयावह घटना को भविष्य में कतई होने देने की प्रेरणा देता है। साथ ही आज के दिन निर्दोष लोगों को याद करने का दिन है, जिनका विभाजन के चलते घर परिवार मकान यहां तक की जान भी चली गई। आज के दिन उन लोगों को श्रद्धांजलि दी जाती है। आज का दिन हमें यह भी प्रेरणा देता है कि हमें शांति और भाईचारे के साथ रहना चाहिए।

इतिहास में आज के दिन क्या त्रासदी हुई थी?

सन 1947 वह साल था जब धर्म के नाम पर विभाजन हुआ। कानूनी रूप से भारत और पाकिस्तान दो मुल्क बने। वो ऐसा वक्त था जब मानवता, मानवता न रही। इंसान ही इंसानों की दुश्मन बन गए। इंसानियत जैसे मर ही गई। जिस बीच लोगों की जान घर परिवार सब कुछ गया।

आज के दिन को किस तरीके से याद किया जाता है?

विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस जिसे partition horror Memorial Day कहा जाता है। आज के दिन अलग-अलग आयोजन किए जाते हैं। आज के दिन उस त्रासदी से पीड़ित लोगों को श्रद्धांजलि दी जाती है जिसके लिए शोक सभाएं आयोजित होती हैं। आज के दिन सेमिनार, सभा बुलाई जाती हैं। जहां विभाजन के कारण और उसे दौरान हुई सुदासूडी कल जिक्र किया जाता है। आगे के लिए क्या सीख ली जा सकती है इस पर भी बात होती है। आज के दिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है।

आज का दिन यह भी याद दिलाता है की कट्टरता हमेशा बुरे परिणाम लेकर ही आती है। अगर इतिहास में भी थोड़ा भाई ज्यादा दिखाया गया होता तो शायद विभाजन भी ना होता। जो जान गई वह भी ना गई होती। जिनके घर उजड़े वह भी बच गए होते। अब इतिहास में तो नहीं जाया जा सकता लेकिन उससे सीख जरूर ले जा सकती है।

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