Punjab government: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने शुक्रवार को पंजाब सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि उसे आयुष्मान भारत योजना के तहत निजी अस्पतालों के बकाया भुगतान को तुरंत निपटाना चाहिए। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट के माध्यम से यह अपील की, जिसमें उन्होंने विशेष रूप से पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान से आग्रह किया कि वे इस मामले को प्राथमिकता दें।
उन्होंने लिखा, “मैं श्री भगवंत मान से अनुरोध करता हूँ कि अस्पतालों के बकाया को जल्द से जल्द चुकाएं, क्योंकि इस योजना से कई परिवार, खासकर हमारे मेहनती किसानों, को लाभ मिल रहा है।” नड्डा ने यह भी बताया कि इस योजना का उद्देश्य आर्थिक रूप से पिछड़े परिवारों को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना है, जिससे वे चिकित्सा खर्चों से परेशान न हों।
पंजाब की स्थिति पर चिंता
नड्डा ने आगे कहा कि पंजाब में मौजूदा स्थिति बेहद चिंताजनक है। उन्होंने आरोप लगाया कि भगवंत मान की सरकार की खराब प्रबंधन के कारण लोगों को मुफ्त स्वास्थ्य सेवा का लाभ नहीं मिल पा रहा है। “दिल्ली में पार्टी इकाई की सराहना करने के बजाय, भगवंत मान को पंजाब की बिगड़ती स्थिति पर ध्यान देना चाहिए,” उन्होंने कहा। उनके अनुसार, सरकार की अनदेखी के चलते कई परिवार गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे हैं।
AAP की वित्तीय मुश्किलें
AAP की अगुवाई वाली पंजाब सरकार पिछले कुछ समय से वित्तीय संकट में है। 2023 से, राज्य का कर्ज बढ़ रहा है और राजस्व में कमी आई है, जिसके साथ ही सब्सिडी की लागत भी बढ़ रही है। इस स्थिति ने सरकार की वित्तीय सेहत को कमजोर कर दिया है, जिससे अस्पतालों को बकाया भुगतान करने में कठिनाई हो रही है।
AAP का जवाब
AAP ने केंद्रीय मंत्री के हमले का जवाब देते हुए कहा कि केंद्र ने पंजाब के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन फंड, जो कि 800 करोड़ रुपये का है, पिछले दो वर्षों से रोक रखा है। पार्टी ने कहा, “हम श्री नड्डा से मांग करते हैं कि वह विभिन्न योजनाओं के तहत पंजाब को 8,000 करोड़ रुपये जारी करें। अगर आप पंजाब के लोगों की इतनी परवाह करते हैं, तो आप पैसे क्यों रोक रहे हैं?” इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि AAP केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहरा रही है।
PHANA का फैसला
ध्यान देने योग्य है कि पंजाब के निजी अस्पताल और नर्सिंग होम एसोसिएशन (PHANA) ने सरकार की स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के तहत कैशलेस इलाज पर रोक लगा दी है। PHANA ने कहा कि निजी अस्पताल केवल तभी सरकारी योजना के तहत इलाज करेंगे जब राज्य 600 करोड़ रुपये के बकाया का भुगतान करेगा। इस निर्णय का सीधा असर मरीजों पर पड़ेगा, जो कैशलेस सेवाओं की उम्मीद कर रहे थे।
इस पूरे मामले ने पंजाब के स्वास्थ्य ढांचे में वित्तीय दबाव को उजागर किया है और दोनों राजनीतिक पक्षों के बीच की स्थिति को और भी तनावपूर्ण बना दिया है। यह देखने की बात होगी कि पंजाब सरकार इस चुनौती का सामना कैसे करती है और केंद्रीय सरकार इस मुद्दे पर किस तरह की प्रतिक्रिया देती है।
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