Strict Comment on Alimony: महिला द्वारा पति से 6 लाख रुपये मासिक भत्ते की मांग पर कोर्ट की सख्त टिप्पणी
सोशल मीडिया पर एक कोर्ट की सुनवाई का वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें एक महिला के वकील ने अपने मुवक्किल के लिए 6 लाख रुपये मासिक भत्ते की मांग की है। महिला के वकील ने कोर्ट को बताया कि उसे घर में खाने के लिए हर महीने 60,000 रुपये और जूते, कपड़े, चूड़ियाँ, और अन्य चीजों के लिए 15,000 रुपये की आवश्यकता है। वकील ने यह भी बताया कि महिला के घुटनों की समस्या और अन्य चिकित्सकीय उपचार के लिए 4-5 लाख रुपये की आवश्यकता है।
Marriage is Scary Guys 😳
Wife ask for ₹6,16,300 per month as Maintenance 😳
Wife asked this amount for herself, she Didn’t have Any Children 🤔
Hats off to the Judge Who Said “If she want to spend this much, let her earn, not on the husband" #viralvideo pic.twitter.com/OoP2JIlL5k
— Anuj Prajapati (@anujprajapati11) August 21, 2024
सुनवाई के दौरान जज ने इसे कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग बताते हुए कहा, “अगर महिला कमाना चाहती है तो वह कमा सकती है। कोर्ट को यह न बताएं कि यह किसी व्यक्ति की आवश्यकताएं हैं। 6,16,300 रुपये प्रति माह। क्या कोई अकेला व्यक्ति इतना खर्च करता है? यदि वह खर्च करना चाहती है तो उसे खुद कमाना चाहिए, न कि पति पर निर्भर रहना चाहिए।”
जज ने महिला के वकील को उचित राशि की पेशकश करने का निर्देश दिया, अन्यथा उनकी याचिका खारिज कर दी जाएगी। 20 अगस्त को महिला-राधा मुनुकुंटला द्वारा खर्चों का विवरण प्रस्तुत न करने के मामले की सुनवाई हुई थी। उन्हें 30 सितंबर, 2023 को बेंगलुरु के फैमिली कोर्ट के अतिरिक्त प्रधान जज द्वारा 50,000 रुपये मासिक भत्ता प्राप्त हुआ था। महिला ने उच्च न्यायालय में इस अंतरिम भत्ते में वृद्धि की मांग की।
यह अनोखी मांग हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के अंतर्गत वित्तीय सहायता प्रावधानों के संभावित दुरुपयोग की ओर ध्यान आकर्षित कर रही है, जो कानूनी विवादों के दौरान आश्रित जीवनसाथियों को वित्तीय समर्थन प्रदान करने के लिए बनाए गए थे।