Supreme Court on Resignation: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में कहा है कि अगर कर्मचारी इस्तीफे का पत्र वापस ले लेता है, इससे पहले कि नियोक्ता उसे आधिकारिक रूप से स्वीकार करे, तो इस्तीफा मान्य नहीं होगा। इस फैसले के तहत एक रेलवे कर्मचारी को फिर से बहाल किया गया।
आधिकारिक सूचना के बाद ही इस्तीफ़े की स्वीकृति
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केवल आंतरिक संचार के माध्यम से इस्तीफे की स्वीकृति को मान्यता नहीं दी जा सकती। इस्तीफा तब ही मान्य होगा जब नियोक्ता इसे आधिकारिक रूप से कर्मचारी को सूचित करे।
क्या है पूरा मामला
कोर्ट ने देखा कि याचिकाकर्ता ने 1990 से 23 साल तक कोकण रेलवे में काम किया। उसने दिसंबर 2013 में इस्तीफा दिया और कहा कि इसे एक महीने बाद से प्रभावी माना जाए। याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि इस्तीफा पत्र 07.04.2014 से स्वीकार किया गया था, लेकिन उसे आधिकारिक सूचना नहीं दी गई। 26 मई 2014 को याचिकाकर्ता ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया, लेकिन रेलवे ने उसे 01.07.2014 से नौकरी से हटा दिया।
कोर्ट की टिप्पणियाँ
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि “याचिकाकर्ता को 28.04.2014 से 18.05.2014 तक की अनुपस्थिति के लिए ड्यूटी पर रिपोर्ट करने के लिए कहना यह दिखाता है कि “इस्तीफा पत्र” को अंतिम रूप नहीं दिया गया।” कोर्ट ने कहा कि चूंकि याचिकाकर्ता ड्यूटी पर लौट आया और नियोक्ता के साथ लगातार संपर्क में था, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि उसने इस्तीफा दे दिया है।
उच्च न्यायालय का फैसला
रेलवे ने उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश के फैसले के खिलाफ अपील की थी, जो याचिकाकर्ता के पक्ष में था। हालांकि, डिवीजन बेंच ने इस फैसले को पलट दिया। सुप्रीम कोर्ट ने एकल न्यायाधीश के आदेश को सही ठहराते हुए कहा कि चूंकि याचिकाकर्ता ने ड्यूटी पर रिपोर्ट की और नियोक्ता के साथ लगातार संपर्क में रहा, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि उसने इस्तीफा दे दिया है।
आधिकारिक सूचना का महत्व
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि “नियोक्ता ने इस्तीफे की स्वीकृति की पत्रावली को 15.04.2014 को जारी किया और यह 07.04.2014 से प्रभावी है, लेकिन यह केवल एक आंतरिक सूचना थी। इस पत्र की सेवा की कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है।”
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