Uniform Civil Code: ‘देश को कम्युनल नहीं, सेक्युलर सिविल कोड की जरूरत’, लाल किला से PM मोदी ने दिया UCC लाने पर जोर

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Uniform Civil Code:-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2024 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) को लेकर सरकार की स्थिति स्पष्ट कर दी। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में जोर देकर कहा कि देश को एक धर्मनिरपेक्ष सिविल कोड की जरूरत है, न कि सांप्रदायिक सिविल कोड की, जो वर्तमान में लागू है।

पीएम मोदी का बयान: सेक्युलर सिविल कोड की जरूरत

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा, “जिस सिविल कोड में हम अभी जी रहे हैं, वह एक प्रकार का कम्युनल सिविल कोड है। यह सिविल कोड भेदभाव करने वाला है।” उन्होंने आगे कहा कि इस समय की मांग है कि देश में एक सेक्युलर सिविल कोड हो, ताकि हम धर्म के आधार पर होने वाले भेदभाव से मुक्त हो सकें।

संविधान निर्माताओं का सपना और सुप्रीम कोर्ट का निर्देश

पीएम मोदी ने अपने भाषण में संविधान निर्माताओं के सपनों का जिक्र किया और कहा कि हमें संविधान की भावना का पालन करना चाहिए। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने भी कई बार यूनिफॉर्म सिविल कोड की आवश्यकता पर जोर दिया है और इस दिशा में चर्चा और निर्णय की जरूरत को रेखांकित किया है।

उत्तराखंड में यूसीसी की शुरुआत

पीएम मोदी ने उत्तराखंड का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां मार्च 2024 में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू किया गया, जिससे वह देश का पहला राज्य बना जहां यूसीसी लागू हुआ। इस कदम की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि देश के बाकी हिस्सों में भी इसे लागू किया जाए।

धर्म के आधार पर कानूनों का समाज में स्थान नहीं

प्रधानमंत्री मोदी ने धर्म के आधार पर विभाजनकारी कानूनों की आलोचना की और कहा कि समाज में ऐसे कानूनों का कोई स्थान नहीं होना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि एक धर्मनिरपेक्ष सिविल कोड ही देश को धर्म के आधार पर होने वाले भेदभाव से बचा सकता है।

समय की मांग: यूसीसी की ओर कदम

प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में इस बात पर जोर दिया कि अब हमें सांप्रदायिक सिविल कोड से आगे बढ़कर सेक्युलर सिविल कोड की ओर बढ़ना होगा। उन्होंने सभी वर्गों से इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा और विचार-विमर्श करने का आह्वान किया।

उत्तराखंड UCC कैसे लागू?

उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) को लागू करने का निर्णय राज्य की भाजपा सरकार द्वारा लिया गया था। इस प्रक्रिया के तहत, राज्य सरकार ने एक कमेटी का गठन किया, जिसका उद्देश्य UCC के प्रारूप को तैयार करना और उसे लागू करने के लिए जरूरी कदम उठाना था। आइए, जानते हैं कि उत्तराखंड में UCC कैसे लागू हुआ:

1. UCC की मांग और राजनीतिक पहल

उत्तराखंड में UCC की मांग लंबे समय से की जा रही थी। भाजपा ने 2022 के विधानसभा चुनावों के दौरान UCC को अपने चुनावी घोषणापत्र का हिस्सा बनाया। चुनाव जीतने के बाद, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार ने इसे प्राथमिकता दी और UCC को लागू करने की दिशा में कदम उठाए।

2. विशेषज्ञ समिति का गठन

मार्च 2022 में, उत्तराखंड सरकार ने UCC का मसौदा तैयार करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया। इस समिति की अध्यक्षता सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति रंजना देसाई कर रही थीं। समिति में कानूनी विशेषज्ञ, समाजशास्त्री और धार्मिक विद्वान शामिल थे। समिति का कार्य यह था कि वह राज्य में विभिन्न समुदायों के हितों को ध्यान में रखते हुए एक व्यापक और निष्पक्ष सिविल कोड तैयार करे।

3. सुझाव और परामर्श प्रक्रिया

समिति ने UCC के मसौदे को तैयार करने से पहले राज्य के विभिन्न समुदायों, संगठनों और नागरिकों से सुझाव और प्रतिक्रियाएं मांगी। इस प्रक्रिया के तहत, सार्वजनिक बैठकों और सेमिनारों का आयोजन किया गया, जहां लोगों ने अपने विचार प्रस्तुत किए। समिति ने इन सुझावों को ध्यान में रखते हुए एक संतुलित और निष्पक्ष सिविल कोड का प्रारूप तैयार किया।

4. मसौदे का निर्माण और प्रस्तुतिकरण

सभी सुझावों और चर्चाओं के आधार पर, समिति ने UCC का एक मसौदा तैयार किया। इस मसौदे में विवाह, तलाक, संपत्ति के अधिकार, उत्तराधिकार, गोद लेने और अन्य नागरिक मामलों से जुड़े कानूनी प्रावधान शामिल थे। इसे राज्य सरकार को प्रस्तुत किया गया, जिसके बाद सरकार ने इसे मंजूरी दी।

5. UCC का अधिनियमन और लागू करना

मसौदे को मंजूरी मिलने के बाद, उत्तराखंड विधानसभा में इसे पारित करने के लिए एक विधेयक लाया गया। राज्य विधानसभा द्वारा इसे पारित करने के बाद, यह विधेयक कानून बन गया। इसके बाद, उत्तराखंड में UCC को आधिकारिक रूप से लागू कर दिया गया।

6. UCC का प्रभाव

UCC लागू होने के बाद, उत्तराखंड में सभी नागरिकों पर एक समान सिविल कानून लागू होगा, चाहे वे किसी भी धर्म, जाति या समुदाय के हों। इससे राज्य में कानूनी व्यवस्था में समानता आएगी और धार्मिक आधार पर भेदभाव की संभावना कम होगी।

निष्कर्ष

प्रधानमंत्री मोदी के इस स्पष्ट और निर्णायक बयान से यह संकेत मिलता है कि आने वाले समय में सरकार यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर और भी ठोस कदम उठा सकती है। उनके इस बयान से यह भी स्पष्ट होता है कि सरकार इस मुद्दे पर दृढ़ है और इसे लागू करने के लिए व्यापक जनसमर्थन और चर्चा की आवश्यकता को समझती है। यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर पीएम मोदी का यह दृष्टिकोण निश्चित रूप से देश की कानूनी और सामाजिक संरचना में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है

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Tausif Khan

तौसीफ खान, BH24 News की डिजिटल टीम के साथ बतौर रिपोर्टर जुड़े हुए हैं. BH24 News द्वारा दी गई सूचनाएँ केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य के लिए हैं। हम किसी भी जानकारी की सटीकता, पूर्णता या समय पर होने की गारंटी नहीं देते। किसी भी निर्णय लेने से पहले कृपया स्वयं सत्यापन करें और आवश्यकतानुसार विशेषज्ञ सलाह लें। BH24 News के माध्यम से प्रदान की गई जानकारी के उपयोग से उत्पन्न होने वाली किसी भी प्रकार की हानि के लिए हम उत्तरदायी नहीं होंगे।

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