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 Increased Screen Timing स्क्रीन टाइम बढ़ने से होने वाले नुक़्सानों को ऐसे रोकें।

Increased Screen Timing स्कीन टाइम वो टाइम होता है जब हम लैपटॉप, डेस्कटॉप, फोन, स्मार्ट वॉच जैसे सभी डिवाइसेज, जो इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटली चलते हों, ऐसे डिवाइसेज के ज्यादा संपर्क में आने को स्क्रीन टाइमिंग कहते हैं।

Increased Screen Timing स्कीन टाइम वो टाइम होता है जब हम लैपटॉप, डेस्कटॉप, फोन, स्मार्ट वॉच जैसे सभी डिवाइसेज, जो इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटली चलते हों, ऐसे डिवाइसेज के ज्यादा संपर्क में आने को स्क्रीन टाइमिंग कहते हैं।

आज के ज़माने में जहां हम डिजिटल इंटरैक्शन की तरफ़ तेज़ी से बढ़ रहे हैं। तो स्क्रीन टाइम बढ़ना जाहिर है। चाहे काम हो, पढ़ाई हो, या फिर पढ़ाई ही क्यों ना हो, इन सब कामों को करने के लिए हम कहीं ना कहीं डिजिटल दुनिया की मदद ले रहे हैं। डिजिटल इंटरेक्शन की तरफ बढ़ने के अनगिनत फायदो के साथ कुछ कमियां भी साथ चलकर आती हैं।

स्क्रीन टाइम बढ़ने का सबसे खतरनाक असर हमारी आंखों पर पड़ता है। इसके साथ ही लगातार बैठे रहने से पोस्चर भी बिगड़ जाता है। बढ़ा हुआ स्क्रीन टाइम आंखों पर बुरा असर डालता है, जिससे आँखों में तनाव, सूखापन, थकान, और सबसे जरूरी आंखो की रोशनी कम हो सकती है। इसलिए, ज़रूरी है कि हम आँखों की सही देखभाल करें। इस वेबपोस्ट में आपके काम की बातें हैं जो आपकी आँखों को स्वस्थ रखने में मदद कर सकती हैं:

1. 20-20-20 नियम।

समय फोन कंप्यूटर लैपटॉप डेस्कटॉप आदि पर समय बिताने के बाद आंखों को आराम देने के लिए के लिए 20-20-20 नियम काफी प्रभावशाली हो सकता है इसका मतलब है कि हर 20 मिनट के बाद, 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर रखी किसी चीज़ को देखें। यह आपकी आँखों को आराम देता है और उन्हें फिर से केंद्रित करने में मदद करता है।

2. सही रोशनी का उपयोग करें

जब आप लैपटॉप या कंप्यूटर में कुछ काम कर रही हों। उस वक्त कमरे की रोशनी सही होनी चाहिए। बहुत ज्यादा तेज़ या फिर बहुत ही कम रोशनी में काम करने से आँखों पर दबाव पड़ सकता है। स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी आँखों काफी बुरा असर डालती है, इससे बचने के लिए स्क्रीन फिल्टर लगाएं। अब बाजार में अलग अलग तरह के चश्मे मौजूद हैं जो नीली रोशनी का बुरा असर काफी हद तक कम हो जाता है।

3. लैपटॉप और डेस्कटॉप को सही दूरी पर रखें।

आपके लैपटॉप की स्क्रीन आंखों से कितनी दूरी पर है, ये भी काफ़ी जरूरी है। स्क्रीन को आँखों के स्तर से थोड़ा नीचे रखें और ध्यान रखें कि स्क्रीन और आँखों के बीच की दूरी लगभग 20-24 इंच हो। अपनी स्क्रीन को इस तरह रखें की गर्दन में दर्द ना हो।

4. आंखों का रेगुलर चेकअप करवाए।

नियमित आँखों की जांच कराना बहुत जरूरी है, खासकर अगर आपका स्क्रीन टाइम ज्यादा है तो। किसी भी समस्या का जल्दी पता चल सकता है। जिसे इलाज में भी ज्यादा दिक्कत नहीं आएगी।

5. पलकों को जल्दी-जल्दी झपकातें रहें।

लंबे समय तक स्क्रीन पर आंखें गड़ाए रहने से आंखों में नमी कम हो जाती है। इसलिए, जल्दी-जल्दी अपनी आंखों की पलकों को झपकाते रहें।

6. आंखों की एक्सरसाइज करें।

आँखों का व्यायाम भी उनकी सेहत के लिए फायदेमंद होता है। कुछ आसान आंखों की एक्सरसाइज जैसे कि आँखों को गोलाई में घुमाना, ऊपर-नीचे और बाएँ-दाएँ देखना, और कुछ समय के लिए आँखों को बंद रखना, आँखों की मांसपेशियों को मजबूत करने और थकान को कम करने में मदद करते हैं।

7. हेल्दी डाइट

अच्छे आहार का असर आँखों की सेहत पर भी पड़ता है। विटामिन ए, सी, ई और ज़िंक युक्त खाद्य पदार्थ जैसे गाजर, पालक, बादाम, का ज्यादा इस्तेमाल करें। ये पोषक तत्व आँखों की रोशनी को बनाए रखने और उन्हें स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।

8. स्क्रीन पर ब्रेक लें

लगातार स्क्रीन पर काम करने से बचने के लिए बीच-बीच में छोटे ब्रेक लेते रहें। हर घंटे में 5-10 मिनट का ब्रेक लें। इस दौरान आप कोई और काम कर सकते हैं। ताकि आँखों को आराम मिल सके।

9. स्क्रीन सेटिंग्स

स्क्रीन की ब्राइटनेस, और टेक्स्ट साइज को अपने आराम के अनुसार समायोजित करें। ब्राइटनेस को कमरे में मौजूद रोशनी के हिसाब से करें। टेक्स्ट साइज इतना बड़ा रखें कि पढ़ने में आसानी हो।

10. ह्यूमिडिफायर का इस्तेमाल।

अगर आपके कमरे की हवा शुष्क है, तो ह्यूमिडिफायर का उपयोग करें। यह हवा में नमी बढ़ाता है और आँखों के सूखने की समस्या को कम करता है।

11. आँखों को धूप से बचाएं

धूप में बाहर जाते समय सनग्लासेस लगाएं, जो UV किरणों से आपकी आंखों को सुरक्षा देंगें। यह आपकी आँखों को हानिकारक किरणों से बचाने में मदद करेगा।

12. सही पोस्चर

स्क्रीन के सामने बैठते समय सही पोस्चर में बैठें!। अपनी पीठ को सीधा रखें साथ ही आपकी कलाई को भी सही डायरेक्शन में रखें!। इससे आँखों पर तनाव कम पड़ता है और आपका पूरा शरीर आरामदायक स्थिति में रहता है।

 

इन आसान टिप्स से आप अपनी नाजुक आंखों का ख्याल रख सकते हैं। अब हमारा स्क्रीन टाइम तो बढ़ ही गया है। लेकिन स्कीन टाइम के बढ़ने से होने वाले नुकसानों को हम कम जरूर कर सकते हैं।

 

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