Lyme Disease: ये मामूली सी दिखने वाली बीमारी लाइम डीज़ीज़, नहीं है मामूली! इसमें जानवरों के शरीर में मौजूद कीड़ों से बन जाते हैं शरीर पर चिक्कते… और बाद में काफी खतरनाक होती जाती है हालत!

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Lyme Disease: एक बीमारी जिसने अमेरिका में अपना हाहाकार मचाया हुआ है। जिसमें जानवरों के शरीर में मौजूद कीड़े जिन्हें टिक कहा जाता है उनके काटने से पहले शरीर पर लाल लाल सा निशान पड़ता है। जो देखने में तो काफी मामूली सा लगता है और कोई दर्द भी नहीं होता है। यहां तक कि कोई खुजली भी नहीं होती। धीरे-धीरे यह लाल निशान चिक्कतों में बदल जाता है और पूरे शरीर में फैल जाते हैं। इस तरह से फैलती है लाइम डिजीज।

हालांकि इसके कुछ और लक्षण होते हैं।

CDC की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका में लगभग 30000 से ज्यादा मामले इस लाइम डिजीज के आते हैं। और अब इस बीमारी के मामले भारत में भी देखने को मिल रहे हैं हालांकि भारत में भी ये फैल चुका है। लेकिन हिमालय एरियाज में ही इस लाइम डिजीज जिसे डीयर टिक भी कहते हैं इसके ज्यादा मामले हिमालय में देखने को मिले हैं।

एक वजह यह भी है कि हिमालय एरियाज में हरियाली काफी होती है और यह टिक या कहें कीड़े ऐसी जगह पर ज्यादा होते हैं। इसलिए भी हिमालय एरियाज में इसके मामले ज्यादा देखने को मिलते हैं। मानसून में इस बीमारी के फैलने का ज्यादा खतरा होता है क्योंकि बारिश से यह कीड़े आसानी से बढ़ जाते हैं।

साइंटिफिक लैंग्वेज में क्या है लाइम डिजीज

बोरेलिया बर्गडोर्फरी नाम के बैक्टीरिया से यह डिजीज फैलती है। यह बीमारी इनफेक्टेड ब्लैक लेग्ड टिक के काटने से होता है। ये टिक देखने में बिल्कुल छोटे कीड़े जैसे लगते हैं। यह बीमारी कुत्तों के शरीर में मौजूद टिक से नहीं होती है। ये बीमारी साल 1975 में पहली बार देखने को मिली थी। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस बीमारी से दिल ओर लीवर तक की गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। इस बीमारी से धीरे-धीरे आपका नर्वस सिस्टम अफेक्ट होने लगता है। इतना ही नहीं आपको अर्थराइटिस भी इन टिक्स के काटने से हो सकता है।

 

जानते हैं कितनी स्टेज में बात होता है यह लाइम डिजीज।

 

क्या होते हैं लक्षण

पहला चरण: शुरुआती 1 से लेकर 28 दिन तक पहली स्टेज होती है। जहां बैक्टीरिया केवल उतने ही हिस्से में होता है जहां टिक ने उसे कटा होता है। क्योंकि यह शुरुआती चरण होता है इसलिए यह बैक्टीरिया बाकी कहीं नहीं फैला होता है।

दूसरा चरण: दूसरी स्टेज तीन हफ्तों से लेकर 12 हफ्तों तक होती है। दूसरी स्टेज में बैक्टीरिया इनफेक्टेड एरिया के अलावा उसके आस पास भी फैलने लगता है।

तीसरा चरण: इस स्टेज तक पहुंचाने के लिए कई महीने या यूं कहें साल लग जाते हैं। जब बैक्टीरिया पूरे शरीर में फैल जाता है। इसके साथ-साथ चेहरा दिल-लीवर, नर्वस सिस्टम, सब पर असर होता है।

क्यों है यह खतरनाक।

कि यह एक बैक्टीरिया है और और धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैल जाता है। और धीरे-धीरे यह लीवर और दिमाग सबको खोखला करता चला जाता है। देखने में काफी साधारण है इसलिए लोग इस पर ध्यान भी नहीं देते हैं तब पता चलता है जब यह अपने साथ कई बीमारियों को न्योता दे चुका होता है।

आख़िर इसके लक्षण क्या है?

सबसे पहले तो एक लाल चक्कत्ता जैसा निसान होता है। जो ज्यादातर गोली में ही देखा गया है।
– इसके बाद हल्का बुखार और जुकाम जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।
– सर्दी खांसी जुकाम सर दर्द जैसी सामान्य समस्याएं, लाइम डिजीज से ग्रसित व्यक्ति में भी दिखाई देती हैं।
– जब यह बीमारी अपने दूसरे या तीसरे चरण में पहुंच जाए तो जोड़ो से संबंधित समस्याएं, नर्वस सिस्टम पर असर होना जैसी बड़ी बीमारियां भी होती हैं।
– ऐसे में आपको थोड़ा धुंधला भी दिखाई देता है।
– ठंड ज्यादा लगती है।
– गला काफी जल्दी-जल्दी खराब होता है।
– थकान का महसूस होना।
– मसल्स में दर्द होना।
– बुखार।
– लिंफ नोईड में सूजन होती है। हमारे शरीर में कई जगह लिंफ नोईड मौजूद होती है। जैसे- कमर में, गार्डन में, बगल में, इंटेस्टाइन के आसपास हो सकती है।

दूसरी और तीसरी स्टेज में दिखने वाले लक्षण।

स्टेज में आने के बाद लक्षण थोड़ी गंभीर हो जाते हैं। ऑल इन लक्षणों को विकसित होने में 1 साल तक का समय भी लग जाता है।

– शरीर में जगह-जगह लाल चक्कतों के निशान पड़ जाना। ये सबसे अहम लक्षण है।

– जैसे दिल की धड़कनों का सामान्य गति से बढ़ जाना।
– गार्डन में हर वक्त अकड़न का महसूस होना।
– सर में काफी तेज दर्द होना।
– सर में सूजन।
– बदन में हल्का-हल्का दर्द और हाथ पैरों का सुन्न सा महसूस होना।
– चीजों को याद रखने में काफी दिक्कत होना। फोकस करने में काफी दिक्कतों का सामना करना। मेंटल फॉग जैसी समस्याएं होती हैं।

अब जानते हैं की टिक के कार्ड लेने पर हम क्या प्रिकॉशन ले सकते हैं।

– हाथ का इस्तेमाल बिना किए किसी चिमटी आदि से कीड़े को जड़ से निकलने की कोशिश करें।
– जहां टिक ने काटा है उसे जगह को साबुन से अच्छे से धो लें।
– टिक को हटाने के लिए किसी खतरनाक चीज का इस्तेमाल न करें जैसे पेट्रोलियम जेली आदि।
– इसके बाद एक बार डॉक्टर से भी परामर्श ले लें।

 

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