Rajmata Ahilyabai Holkar : अहिल्याबाई साधारण से किस के एक घर में पैदा हुई महिला थी जिन्होंने हमेशा से अपने राज्य और वहां के लोगों के हित में ही काम कार्य किया है उनके कार्य के प्रणाली बहुत ही सुगंध व सरल रहता था अर्थात इन्हें अपने राज्य के लोगों से बड़े ही प्रेम पूर्वक और दया के साथ व्यवहार किया जाता था अहिल्याबाई होल्कर का इतिहास के बारे में आज हम इस ब्लॉग में जानेंगे जिन्होंने कौन-कौन सी युद्ध में अपनी नेतृत्व दिया हुआ है हाथी पर सवार होकर वीरता के साथ लड़ने वाले अहिल्याबाई के बारे में लिए जानते हैं।
अहिल्याबाई होल्कर का जन्म
अहिल्याबाई होल्कर का जन्म 31 में 1725 को महाराष्ट्र राज्य के चांदी नामक गांव में हुआ था वह एक सामान्य किसान के पुत्री थी उनके पिता मैंकोजी शिंदे एक सामान्य किसान हुआ करते थे सादगी और घनिष्ठ के साथ जीवन व्यतीत करने वाले मैंकोजी की अहिल्याबाई एकमात्र ऐसी इकलौती पुत्र थी अहिल्याबाई बचपन के समय में सीधी सीधी और सरल ग्रामीण कन्या थी अहिल्याबाई होल्कर भगवान में विश्वास रखने वाली औरत थी वह प्रतिदिन शिव जी के मंदिर जाकर पूजन करने वाली महिला थी।
अहिल्याबाई होल्कर का जीवन परिचय:
अहिल्याबाई होल्कर का जन्म महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले के चौड़ी नामक गांव में मैंकोजी शिंदे के घर में वर्ष 1725 ईस्वी में हुआ था
साधारण शिक्षित अहिल्या 10 वर्ष की अल्प आयु में ही मालवा में इतिहासकार मार्च दिन के अनुसार होलकर वंशीय राज्य के संस्थापक मल्हार राव होलकर के पुत्र खंडेराव के साथ परिणाम सूत्र में बन गई थी।
अपनी करते बिष्ट से उन्हें सास ससुर पति वह अन्य संबंधी के हृदय को जीत लिया समय प्रात एक पुत्र और पुत्री की मां भी बनी।
अभी योवनावस्था के दहलीज पर ही थी कि उनकी 29 वर्ष की आयु में पति के देहांत हो गया।
अहिल्याबाई के होल्कर वंश के संस्थापक कौन थे
बता दे कि इस वंश के संस्थापक मल्हार राव होलकर थे उनका शासन मालवा से लेकर पंजाब तक रहता था मल्हार राहुल होलकर का निधन 1766 ईस्वी में हुआ था मालवा इलाके के पहले मराठा सूबेदार हुए थे अहिल्याबाई मालवा राज्य के होल्कर रानी बनी हुई थी अहिल्या के लोगों के द्वारा सम्मान से राजमाता भी उन्हें कहा जाता था।।
इंदौर को सबसे खूबसूरत शहर बनाने में क्या योगदान है
अहिल्याबाई होल्कर का इतिहास करीब 30 साल के अद्भुत शासन काल के दौरान मराठा प्रांत के राजमाता अहिल्याबाई होल्कर ने एक छोटे से गांव इंदौर को एक समृद्ध विकसित शहर बनाने में अपनी काफी महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाई थी।
उन्होंने यहां पर कई सड़कों की दशा सुधरे , गरीबों और भूखों के लिए खाने के उच्चतम व्यवस्था करने के साथ-साथ शिक्षा पर भी काफी जोर दिया गया अहिल्याबाई की बदौलत ही आज इंदौर की पहचान भारत के समृद्ध और विकसित शहरों में की जाती है।
अहिल्याबाई होलकर के इतिहास से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें:
- अहिल्याबाई होल्कर जन्म से ही काफी चंचल स्वभाव की थी वह कई कौशल अपने अंदर समेट भी लेती थी।
- जब अहिल्याबाई की उम्र 42 साल के करीब थी तब उनके बेटा वाले राव कभी मृत्यु हो गया था।
- अहिल्याबाई होलकर के लोग देवी के रूप में मानते थे और उनकी पूजा भी करते थे।
- देवी अहिल्याबाई ने राज्य में काफी गड़बड़ मची हुई हुई थी उसे स्थिति में राज्य को न केवल संभाला बल्कि कई नए आयाम खड़े भी किए गए थे।
- उनके सम्मान और उनकी याद में ही भले मध्य प्रदेश के इंदौर में हर साल वृद्धि पद कृष्ण चतुर्दशी के दिन अहिल्या उत्सव का आयोजन किया जाता है।
- अहिल्याबाई होल्कर का नाम सुमित भारतवर्ष में बहुत ही सम्मान के साथ लिखा जाता है और उन्हें याद किया जाता है उन्हें लेकर कई पुस्तक भी लिखी गई है।
- अहिल्याबाई होल्कर ने देश के कई हिस्सों में काफी अच्छा काम किया है जिसके चलते भारत सरकार द्वारा कई जगह पर रानी की प्रतिमा भी लगवाई गई है उनके नाम पर कई योजनाएं भी चलाए जाते हैं।
अहिल्याबाई होल्कर की मृत्यु:
अहिल्याबाई होल्कर की मृत्यु 13 अगस्त 1795 ई को इंदौर राज्य में हुआ था अहिल्याबाई होल्कर की मृत्यु कब हुई उसे दिन की तिथि व्रत पद कृष्ण चतुर्दशी से पता चलता है।
इसे भी पढ़े: Sardar Udham Singh Biography : महान क्रांतिकारी सरदार उधम सिंह का जीवन कथा.